For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलिदानों का क्या फल पाया बाबाजी

हाय ! ये कैसा मौसम आया बाबाजी
देख के मेरा मन घबराया बाबाजी

पूरब में तो बाढ़ का तांडव मार रहा
उत्तर में है सूखा छाया बाबाजी

भीषण गर्मी के झुलसाये लोगों को
मानसून ने भी तरसाया बाबाजी

चिदम्बरम को देख के ऐसा लगता है
लुंगी में कीड़ा घुस आया बाबाजी

लोकराज में जनता का दिल घायल है
बलिदानों का क्या फल पाया बाबाजी

इन्टरनेट पे प्यार का ये परिणाम मिला
युवक ने अपना प्राण गंवाया बाबाजी

ये कैसा जीवन है, जिसमे चैन नहीं
'अलबेला' को रास न आया बाबाजी


__अलबेला खत्री

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:56pm

धन्यवाद रेखा जी......
आपके प्रशंसा-पत्र से थोड़ा  सा चैन तो मिला ...........हा हा हा
__विनम्र आभार !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:53pm

यह सच है  आदरणीय सीमा जी कि  मेरी बातचीत भी आमतौर पर ऐसी ही होती है  रसपूर्ण और लयबद्ध, परन्तु आपने  यह भांप लिया तो  आपकी मेधा  के समक्ष नत होना ही  पड़ेगा

__आपकी स्नेहिल और ऊर्जस्वित टिप्पणी ने  बहुत सुकून बख्शा है

___आपका आभार !

Comment by Rekha Joshi on July 12, 2012 at 1:52pm

अलबेला जी 

ये कैसा जीवन है, जिसमे चैन नहीं 
'अलबेला' को रास न आया बाबाजी ,सत्य है बाबा जी कहीं तो चैन मिले ,अलबेली रचना पर बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:32pm

सम्मान्य अरुण जी...
हो सकता है  मैं यों तो न भी लिखता परन्तु अब तो गली के पत्थर पर भी लिखनी ही पड़ेगी एक ग़ज़ल ताकि  उसका भी अहिल्योद्धार हो जाये....हा हा हा
__बहरहाल आपकी सराहना ने बैटरी चार्ज कर दी...........आभार !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:27pm

आदरणीय संदीप द्विवेदी जी.........
रचना आपको पसन्द आई......मेरा मन गदगद हो गया
आपकी स्नेहिल टिप्पणी ने निहाल कर दिया
________आभार !

Comment by Arun Sri on July 12, 2012 at 1:26pm

चिदम्बरम को देख के ऐसा लगता है
लुंगी में कीड़ा घुस आया बाबाजी  ............ क्या कहने बाबा जी के एक बार फिर ! आप तो गली में पड़े पत्थर पर भी गज़ल लिख दें ! इसे कहते है कवि की नज़र और लुंगी में कीड़ा ! हा हा हा हा !

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:25pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका अरुण शर्मा अनंत जी...
आभार

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:23pm

आपका कोटि कोटि धन्यवाद संदीप जी.......
आते रहिये....
मिलते रहिये........

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 1:22pm


बाबाजी की ओर से सबसे पहले तो
आपके आने का शुक्रिया
फिर बांचने का शुक्रिया
फिर पसन्द करने का शुक्रिया
फिर टिप्पणी करने का शुक्रिया
सबसे  ख़ास प्रोत्साहन देने का शुक्रिया ...........

___धन्यवाद राजेश कुमारी जी.........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 12:55pm

ग़ज़ल पढनी शुरू की तो अचम्भा हुआ अलबेला और इतनी सीरियस गंभीर ग़ज़ल चौथे शेर पर आते ही पता चला हाँ ये अलबेला की ही ग़ज़ल हो सकती है गंभीर ग़ज़ल में भी चिदंबरम का कीड़ा घुसा दिया आदत से बाज नहीं आओगे बाबा जी ....बहरहाल मुद्दे की बात करते हैं बहुत बहुत कमाल की ग़ज़ल लिखी है बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service