नीयत हो यदि साफ़ हमारी बाबाजी
नियति भी तब लगेगी प्यारी बाबाजी
पुस्तक, सी डी और दवायें बेच रहे
सन्त नहीं, वे हैं व्यापारी बाबाजी
कोई किसी का सगा नहीं है दुनिया में
सब मतलब की रिश्तेदारी बाबाजी
दाज नहीं तो दूल्हा बैरंग लौट गया
इसको कहते दुनियादारी बाबाजी
तुम पूछो या मत पूछो, मैं कहता हूँ
क़र्ज़ है सबसे बड़ी बीमारी बाबाजी
ऊँची एड़ी वाले सैंडिल फिसले तो
लग जायेगी चोट करारी बाबाजी
अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
नजरों से कुछ आज न बचना हो मुमकिन.
ऐसे घातक तीर चला दो बाबाजी .. जय हो जय हो अलबेला जी ! :-)
हा हा हा
आदरणीय आपने तो गज़ब कर दिया
जैसे लड्डू के ऊपर चमकीला वर्क अलग ही दिखता है
उसी भान्ति आपके शब्द अलग ही छटा बिखेरते हैं
__धन्य हो प्रभु !
अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी
इस शैली में शेर निकाले, बच रहना
लोग करेंगे ’सानी-पानी’ बाबाजी
वैसे, लोगों का काम है कहना.. . उनको रहने-कहने-बकने दें. आप अपनी जिम्मेदारियों को ऐसे ही निभाते चलें.
आपका सादर आभार, भाई जी.
जय हो उमाशंकर जी जय हो........
आपकी अनुकम्पा ऊर्जा देती है
___सादर
बहुत सुन्दर रचना मन प्रफुल्लित हुवा प्रभु ....सभी लाईन एक से बढ़ कर एक है सभी में जनसन्देश है
अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी....... कुछ भी लिखने का मतलब.....आत्मा की आवाज उतरती है मति तो उनकी मारी गई है
बहुत बहुत बधाई अलबेला जी
बाबा लोगों के ख़ूब मज़े हैं वीनस जी,
एक बार बाबाजी बन जाओ
फिर कुछ करने की ज़रूरत नहीं ...हा हा हा
__आपकी टिप्पणी सर आँखों पर..........
आपके बाबाजी का होते रहना मुझे भी बाबामय कर गया ...
इसका परिणाम जल्द ही दिख सकता है
जय हो .....
बहुत बहुत धन्यवाद अविनाश जी
सादर
धन्यवाद आदरणीय राज जी
सादर
आपका स्नेह सर आँखों पर संदीप जी
सादर
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