सभी भाइयों और सभी बहनों को अलबेला खत्री की ओर से राखी के त्यौहार पर
लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर
राखी के त्यौहार का, आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान
गदगद हैं माता-पिता, बच्चों में उत्साह
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह
राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
-अलबेला खत्री
Comment
आपका हार्दिक आभार आदरणीय उमाशंकर जी..
सादर
धन्यवाद भाई संजय मिश्रा जी.....
थुन्दल थुन्दल ........बओत थुन्दल लिता आपने अलुन जी ,आपतो बओत बओत आभाल
प्यारे अलबेला जी
बहुत सुन्दर दोहा रचा है रक्षा बंधन के पर्व के अवसर पर
जैसे रक्षा बंधन के गीत बजते ही इस त्यौहार अहसास होने लगता है वैसे ही आपके ये दोहे इस पर्व की
अमर दास्ताँ बयां कर रही है
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
से
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
मन को भा गयो भाया ...बडो चोखो लाग्यो है गजब छे
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन...
बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं आदरणीय अलबेला भाई जी...
रक्षाबंधन पर्व पर सादर शुभकामनाएं स्वीकारें
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
तुतले तुतले बोल में, मीती मीती बात
कानों में लस गोल दे,औल दिका दे दाँत |
अलबेला ने लित दिए, तुंदल दोए आज
अम बी तुतले ओ गए,त्यों ओते नालाज |
लच्चा बंदन ता मदुल, पावन ऐ त्यौआल
भाई बैना ता अमल, तदा लएगा प्याल ||
स्वागत है प्रभु .......:
आपके वचन शिरोधार्य है प्रभु..........
अम्बरीश जी आभार !
आभारी हूँ आदरणीय अलबेला जी ! आपके दोहे पुष्ट छंद हैं मात्र तुकबंदी नहीं ....सादर
आदरणीय अम्बरीश जी
धन्यवाद,,,,,,,,,,
आप जैसे छंदराज को मेरी तुकबंदी पसंद आई, मेरे लिए बड़ी बात है
सादर
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