पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी
जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
धन्यवाद रेखा जोशी जी..........
अभिनन्दन आपका
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी,बहुत खूब अलबेला जी ,प्यार बांटते चलो ,प्रेम की गंगा बहाते चलो ,आभार
आपकी टिप्पणी भी जानदार है जी
thank you avinash ji .........
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी...ALBELA UAACH...SHANDAR HAI BaBa G.
हाय हाय हाय
नाभि से कमल !
___________क्या सुन्दर चित्र बनेगा ....वाह !
परन्तु ऐसा होगा कैसे ?
कमल तो कीचड़ में खिलता है
और नाभि में कीचड़ होता नहीं.......तो तकनीकी रूकावट आने का सन्देह हो रहा है प्रभु !
आप तो एक काम करो आनन्द को आनन्द ही रहने दो, कमल बनाने का चक्कर छोड़ो वरना सोनिया गांधी बुरा मान जायेगी....हा हा हा
आपने सही कहा भ्रमर जी.....
ज्ञान बांटने से ही विस्तार पाता है..........
आपको नमन है भाईजी.......
जय बाबा जय हो बाबा ....अनंत .....
भ्रमर जी.........
आप गम्भीर हो गये.......
वाटर से नीर हो गये
मिल्क से क्षीर हो गये
साहिल से तीर हो गये
____अब इत्ती साहित्यिक भाषा अगर बाबाजी जानते तो क्या बाबाजी होते ?
____वाह भ्रमर जी.........आनन्द आगया आपसे बतिया कर
____वैसे आ गया शब्द सही नहीं है ..आनन्द कहीं से आता है क्या ?
____आनन्द छा गया ...ऐसा कहना उचित होगा
____आपका क्या ख्याल है बाबा ?
भक्तराज भ्रमर जी.....
बाबा लोगों का उपहास नहीं किया जाता
न ही उनकी परीक्षा ली जाती है
जानते हो क्यों ?
क्योंकि इसमें बाबाजी के फेल होने का खतरा होता है, बाबाजी की सारी पोल पट्टी खुलने का खतरा है और आप तो जानते ही हैं कि एक बार बाबाजी कि पोल खुली तो फिर वे अपना मुँह दिखाने लायक नहीं रहते...
सो हे भक्तराज !
जब आपको मालूम था कि कृण्वन्तो क्या होप्ता है तो आप ने फ़ोकट में बाबाजी का खाली टाइम खर्च क्यों किया .
ऐसा करना घोर पाप है
इस पाप का प्रायश्चित बाबाजी के नाम का जाप है
जो नहीं करते उन्हें बाबाजी का शाप है
इस बात में कोई दम नहीं, ये फ़ोकट का प्रलाप है...हा हा हा
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