सभी भाइयों और सभी बहनों को अलबेला खत्री की ओर से राखी के त्यौहार पर
लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर
राखी के त्यौहार का, आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान
गदगद हैं माता-पिता, बच्चों में उत्साह
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह
राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
-अलबेला खत्री
Comment
शुक्रिया अशोक कुमार रक्ताले साहेब,
बहुत बहुत धन्यवाद
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
वाह! अलबेला साहब क्या खूब दोहे लिखे हैं. बहुत ही मनभावन. हार्दिक बधाई.
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ सूर्या बाली सूरज जी,
आपके शब्दों में निहित ऊर्जा का संचार मेरे मन मस्तिष्क में हो रहा है
___अभी एक अल्बम बनाने में व्यस्त हूँ .....आशा है बहुत ही शानदार काम हो पायेगा
सदैव स्नेह बनाए रखें
सादर
अलबेला भाई आपको भी रक्षा बंधन की बहुत सारी शुभकामनायें ! बहुर ही समसामयिक और सुंदर दोहों से इस मंच को सज़ा दिया है आपने। पूरा वातावरण ही राखी के त्योहार में सरोबोर हो गया है।आपको इस सुंदर कृति पर बहुत बहुत मुबारकबाद !!
धन्यवाद रेखा जी.......
अलबेला जी
धन्यवाद अरुण जी.........आभार
आदरणीय अलबेला जी आपका ये दोहा सीधे दिल में उतर गया , बधाई
आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, विनम्र प्रणाम
भरतपुर तो लुटना ही था भाई जी, खानदानी डाकू जो आये हुए हैं..................हा हा हा
आपकी इस स्नेहसिक्त एफ़ आई आर को बाँच कर तो डाकू और ज़्यादा उन्माद में आजायेंगे...हा हा हा फिर भरतपुर बार बार लुटेगा
___आपकी मोहब्बत और आपका प्रेम मन में आत्मीयता की सुगन्ध भर रहे हैं ...आपको सादर सादर आभार
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
भरतपुर लुट गया आज मेरे भईया .... आपने तो हम सबका दिल .. दिमाग सब कुछ लुट लिया .... आपके इस अंदाज़ को ख़ाकसार का सलामे मोहब्बत .
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