For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तृष्णा की कोख से जन्मा
वासनाओं के साये में पला
एक मनोभाव है दुःख ;
सांसारिक माया से भ्रमित
षटरिपुओं से पराजित
अंतस की करुण पुकार है दुःख ;
स्वार्थ का प्रियतम
घृणा का सहचर
भोगलिप्सा की परछाई है दुःख ;
वैमनस्य का मूल्य
भेदभाव का परिणाम
आलस्य का पारितोषिक है दुःख ;
अधर्म से सिंचित
अमानवीय कृत्यों की
एक निशानी है दुःख ;
कलुषित मन की
कुटिल चालों का
सम्मानित अतिथि है दुःख ;
निरर्थक संशय से उपजी
मानसिक स्थिति का
एक नाम है दुःख |

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 8, 2012 at 6:38pm

रचना पसंद करने के लिए आपका आभार अरुण शर्मा जी........

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:54am

बहुत ही सुन्दर रचना गौरव जी बधाई

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 7, 2012 at 11:04am

आदरणीय अम्बरीश सर.....प्रशंसा के लिए आपका दिल से आभार.......

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 1:36am

//स्वार्थ का प्रियतम
घृणा का सहचर
भोगलिप्सा की परछाई है दुःख ;
वैमनस्य का मूल्य
भेदभाव का परिणाम
आलस्य का पारितोषिक है दुःख ;//

वाह कुमार गौरव जी वाह ......इस कविता के माध्यम से आपने दुःख को बहुत ही यथार्थ रूप में परिभाषित किया है ....साधुवाद मित्र ....सस्नेह ....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:54pm

आदरणीय रक्ताले सर.......आपकी प्रेमपूर्ण प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी.......स्नेह बनाये रखियेगा.......आभार.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:52pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय योगी जी......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:51pm

हमेशा की तरह उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका धन्यवाद आदरणीया रेखा जी.....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:48pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण सर......आपने बिलकुल सही कहा कि सुख एक मृग तृष्णा है....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:46pm

स्वागत है संदीप जी........आपका हार्दिक आभार मित्रवर.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 10:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय सूर्या जी............आपका प्यार हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करता है.......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service