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लोकेश भाई इन प्रेरक शब्दों के लिये हृदय से आभार !!!!!
राज तोमर भाई दिल से शुक्रिया आपका !!!!
अनुभूति के चरमोत्कर्ष का सजीव चित्रण , प्रेम से समाधि तक ,सटीक सब्द भावपूर्ण अभ्व्यक्ति ,बहुत खूब ....
बहुत खूब विशाल जी.:)
" तू रहे ना तू कि मैं ना
मैं रहूँ अब यूं अलग
हो विलय अब तन से तन का
मन से मन का - प्राणों का,"... वाह वाह..:)
आपका ह्रदय से आभार Ambarish Srivastava जी एवं संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' जी !!!!
गहन भावों से परिपूर्ण रचना! महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें चर्चित जी!
इस भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ! सस्नेह
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद Laxman Prasad जी !!!
एक बार फिर से आभार Saurabh Pandey सर जी......एवं नमन आपके हिंदी ज्ञान को एवं नमन आपकी पारखी दृष्टि को......!!!
धन्यवाद Shubhranshu JI !!!
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