दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा
हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा
साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग
खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा
सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में
बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा
शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर
हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा
छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on June 3, 2014 at 2:30pm — 13 Comments
रट्टू तोते की तरह, क्यों रटते दिन रात
दादा जी का नाम भी, गूगल पर मिलि जात
त्रेता के सज्जन कहैं, सबके दाता राम
कलियुग के ढोंगी कहैं, हमरे आशाराम
दिन भर आगे सेठ के, डरि के दुम्म हिलायँ
साँझ ढले पव्वा लगै, अउर शेर हुइ जायँ
हफ्ते में तो चार दिन, काटैं मदिरा माँस
बाकी के कुल तीन दिन, धरम करम उपवास
अबला से सबला हुई, नाच नचावैं आज
बाबू जी की खोपड़ी, बजा रहीं ज्यों साज
गुरु से चेला बीस अब, देय रहा है…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on April 9, 2014 at 10:59pm — 18 Comments
छप्पन व्यंजन खाय के,भरा पेट कर्राय
तब टीवी की खबर पर, 'देश प्रेम' चर्राय
नेता उल्लू साधते, आपन गाल बजाय
जनता देखय फायदा, बातन में आ जाय
जोड़-तोड़ बनि जाय जो, दोबारा सरकार
लूट-पाट होने लगे, बढ़ता भ्रष्टाचार
महंगाई जस जस बढ़ै, व्यापारी मुस्कायँ,
जैसे आवय आपदा, फौरन दाम बढ़ायँ
पत्रकारिता बिक गयी, कलम करे व्यापार
समाचार के दाम भी, माँग रहे अखबार
कामकाज को टारि के, बाबू गाल बजायँ
देश तरक्की…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on March 26, 2014 at 1:00pm — 14 Comments
छंदों के दीप जलें, शायरी की झिलमिल हो
हँसी खुशी भरी सदा, ओबिओ की महफिल हो
साहित्य करे उन्नति, भाषा का विकास हो
इस मंच पर सदा-सदा स्नेह का प्रकाश हो
सभी विधाओं का सभी दिशाओं में उत्थान हो
सभी नयी प्रतिभाओं के लिये यहां मुस्कान हो
समस्त लक्ष्य - योजना व स्वप्न साकार हो
आने वाले पल के सदा हाथ में उपहार हो
दीपावली की 'चर्चिती शुभकामना' फलीभूत हो
इस मंच के सभी प्रयास सफल व अनुभूत हों
(मौलिक एवं…
ContinueAdded by VISHAAL CHARCHCHIT on November 3, 2013 at 2:00pm — 16 Comments
क्यों रे दीपक
क्यों जलता है,
क्या तुझमें
सपना पलता है...?!
हम भी तो
जलते हैं नित-नित
हम भी तो
गलते हैं नित-नित,
पर तू क्यों रोशन रहता है...?!
हममें भी
श्वासों की बाती
प्राणों को
पीती है जाती,
क्या तुझमें जीवन रहता है...?!
तू जलता
तो उत्सव होता
हम जलते
तो मातम होता,
इतना अंतर क्यों रहता है...?!
तेरे दम
से दीवाली हो
तेरे दम
से खुशहाली…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 5:00pm — 31 Comments
बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम
फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२
इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे
आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे
चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे
जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे
हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 25, 2013 at 6:38pm — 16 Comments
बढ़े चलो - बढ़े चलो
स्वप्न सच किये चलो
जो भी आये राह में
लिये चलो - लिये चलो...
अड़्चनों - रुकावटों
चुनौतियों का सामना
दृढ़ प्रतिज्ञ बनके तुम
किये चलो - किये चलो...
अनुभवों से सीख लो
कमियों को सुधार लो
सबको ऐसी प्रेरणा
दिये चलो - दिये चलो...
आकलन से कम मिले
तो भी मुस्कुराओ और
बाकी पाने के लिये
लगे रहो - लगे रहो...
हार हो कि जीत हो
कि धूप हो कि छांव हो
तुम सदैव एक से
बने रहो - बने…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on August 25, 2013 at 8:34pm — 19 Comments
लो झेलो अब गर्मी
भयानक-विकराल और
शायद असह्य भी..है न ?!!
देखो अब प्रकृति का क्रोध
तनी हुई भृकुटि और प्रकोप...
विज्ञान के मद में चूर
ऐशो आराम की लालच में
भूल बैठे थे कि है कोई सत्ता
तुमसे ऊपर भी,
है एक शक्ति - है एक नियंत्रण
तुम्हारे ऊपर भी...
एसी चाहिये-फ्रिज चाहिये
हर कदम पर गाड़ी चाहिये
लेकिन इन सबकी अति से
होने वाली हानि पर कौन सोचे
किसके पास है समय ?!!!
वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध
पर किसके…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on May 27, 2013 at 9:30pm — 17 Comments
क्या वजह क्या वजह कहर बरपा रहे
मेहरबां - मेहरबां से नजर आ रहे
ये दुपट्टा कभी यूँ सरकता न था
आज हो क्या गया यूँ ही सरका रहे
चूडियाँ यूँ तो बरसों से ख़ामोश थी
बात क्या है हुजूर आज खनका रहे
यूँ तो चेहरे पे दिखती थीं…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on April 3, 2013 at 6:30pm — 37 Comments
क्या कहूं मैं किस तरह तकदीर का मारा हुआ
सर्द रातें थीं मगर बिस्तर का बंटवारा हुआ
कहने को तो साथ हैं वो हर कदम ओ हर घड़ी
फिर भी उनकी बेरुखी से दिल ये नाकारा हुआ
यूं तो अपने हर तरफ हैं शबनमी दरिया मगर
जब नजर अपनी पडी पानी सभी खारा हुआ
जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक
वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ
हंस…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on January 18, 2013 at 12:30am — 16 Comments
सभी अग्रजों एवं गुरुजनों को प्रणाम करते हुए यहां पहली बार गजल पोस्ट कर रहा हूं. उम्मीद है आप सबको पसन्द आयेगी.....
उठा दिल में धुआं सा है
पुराना प्यार जागा है,
कहो तो हम…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 29, 2012 at 8:30pm — 10 Comments
एक प्रयास 'मत्त सवैया' यानी 'राधेश्यामी छंद' का......
सरकार नहीं यह चेत रही, महँगाई जान जलाती है |
रोटी भी मुश्किल होय रही, दिन रात रुलाई आती है | |
हर पक्ष - विपक्ष नहीं अपना, सब अपना काम बनाते हैं |
हैं दुश्मन…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 23, 2012 at 10:05pm — 10 Comments
भारत माता की वाणी
हिंदी से जुडा
पावन अवसर,
आओ करें संकल्प
करेंगे इसका प्रयोग
हर स्तर पर...
हम रहें कहीं भी
नहीं भूलते
जैसे अपनी माँ को,
याद रखेंगे वैसे ही
हम हिंदी की गरिमा को...
इन्टरनेट पर
जहाँ कहीं भी
अंग्रेजी हो मजबूरी,
वहाँ छोड़कर
हो प्रयास कि
हिंदी से हो कम…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 13, 2012 at 10:00pm — 6 Comments
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on September 10, 2012 at 1:00am — 9 Comments
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on August 27, 2012 at 3:00pm — 26 Comments
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