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क्या कहूं मैं किस तरह तकदीर का मारा हुआ

सर्द रातें थीं मगर बिस्तर का बंटवारा हुआ

कहने को तो साथ हैं वो हर कदम ओ हर घड़ी 
फिर भी उनकी बेरुखी से दिल ये नाकारा हुआ

यूं तो अपने हर तरफ हैं शबनमी दरिया मगर
जब नजर अपनी पडी पानी सभी खारा हुआ

जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक
वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ


(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 25, 2013 at 9:27pm

शुक्रिया प्रियरंजन जी........!!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 8:56pm

अरे वाह सौरभ सर जी सादर नमन है आपकी पारखी दृष्टि को, वाकई 'और' में से 'र' को निकालने की आवश्यकता है....आपके इस अमूल्य मार्गदर्शन - प्रोत्साहन एवं आशीर्वाद को मैं हृदय से प्रणाम करता हूं........!!!

Comment by Priya Ranjan on January 22, 2013 at 3:52pm

अच्छा है .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 22, 2013 at 2:24pm

जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक
वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ

बहुत-बहुत बधाई, भाई..  .

कहने को तो साथ हैं वो हर कदम और हर घड़ी    .. इस मिसरे में और को सिर्फ़ औ’ रहने देते.

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:17pm

सकारात्म्क टिप्पणी के लिये दिल से शुक्रगुजार हूं आपका डॉ. प्राची जी........!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:16pm

राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम एवं धन्यवाद !!! 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:15pm

मुक्त कंठ से सराहना हेतु हृदय से आभारी हूं आपका संजीव सर जी........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 21, 2013 at 6:40pm

पूरी ग़ज़ल बहुत शानदार कही है विशाल जी ,

हार्दिक दाद क़ुबूल करें 

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ.........बहुत खूब, बहुत खूब.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 21, 2013 at 5:01pm

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ----अंतिम शेर ने तो सारी  ग़ज़ल की ही  रौनक बढ़ा दी बहुत अच्छी लगी दाद कबूल करें 

Comment by sanjiv verma 'salil' on January 21, 2013 at 4:47pm

वाह... वाह... वाह...
अच्छी गजल हेतु बधाई.

कृपया ध्यान दे...

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