For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मत खेलो प्रकृति से....

लो झेलो अब गर्मी
भयानक-विकराल और
शायद असह्य भी..है न ?!!
देखो अब प्रकृति का क्रोध
तनी हुई भृकुटि और प्रकोप...

विज्ञान के मद में चूर
ऐशो आराम की लालच में
भूल बैठे थे कि है कोई सत्ता
तुमसे ऊपर भी,
है एक शक्ति - है एक नियंत्रण
तुम्हारे ऊपर भी...

एसी चाहिये-फ्रिज चाहिये
हर कदम पर गाड़ी चाहिये
लेकिन इन सबकी अति से
होने वाली हानि पर कौन सोचे
किसके पास है समय ?!!!

वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध
पर किसके लिये
उद्योग जगत के लाभ के लिये
क्योंकि यहीं से आता है धन
उनके लिये - उनके शोध के लिये...

बढ़ रहा है प्रदूषण - बढ़ने दो
हो रहे हैं ओजोन परत में छेद - होने दो
बढ़ रहा है धरती का तापमान - बढ़ने दो
पिघल रही हैं अंटार्कटिका और
हिमालय की बर्फ - पिघलने दो
बढ़ रहा है सागरीय जलस्तर - बढ़ने दो...

जब कोई इसके लिये प्रायोजक आयेगा
तब इसपर सोचा जायेगा
जब खतरा सिर पर मंडरायेगा
तब इसपर सोचा जायेगा...

अभी तो केवल बोलबाला है
विज्ञान की उपलब्धियों का
बजार में होती नित नयी वृद्धियों का
भूमि और सोने के आकाश छूते भावों का
शेयर बाजार के प्रतिदिन नये दावों का
और मनुष्य को अपाहिज बना देने पर तुली
अनेकानेक सुख - सुविधाओं का...

खूब करो गर्व कि -
खोज लिया है हमने मंगल ग्रह पर
मानव जीवन के संभावित तथ्यों को,
ढूंढ लिया है हमने 'गॉड पार्टिकल' के रूप में
ईश्वर के तमाम रहस्यों को,
कर रहे हैं हम विज्ञान के बल पर
सार्वभौमिक और चौतरफा विकास,
मना रहे हैं हम नये अविष्कारों का
प्रतिदिन खूब उत्सव व हर्षोल्लास....

लेकिन याद रहे -
केवल एकाध प्रतिशत ही जान पाये हो
इस अथाह अंतरिक्ष - अनंत आकाश का,
मत खेलो प्रकृति से - मत खोलो द्वार
अपनी बरबादी - अपने विनाश का....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 6, 2013 at 7:59am

आदरणीय विशाल जी सादर, सुन्दर रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति अब तक वैज्ञानिकों ने कई अच्छी खोज की है और स्वार्थवश हुई खोजों पर अब विराम लगाकर निस्वार्थ सार्थक खोज के लिए दिशा बदलने की जरूरत है. बिलकुल सहमत हूँ आपसे. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 2, 2013 at 12:24pm

हृदय से आभारी हूं आपका सौरभ सर...मैं स्वीकार करता हूं कि ये रचना सीधी और सपाट हो गयी है....लेकिन चूंकि इसमें वास्तविक तथ्यों का समावेश करना था.....जहां भावुकता या कल्पना के लिये मुझे गुंजाइश ही नहीं दिख रही थी.....इसलिये भाषा एवं शैली को ऐसे रखा.....बाकी आप बड़ों से सीख रहा हूं अभी तो.....आप जैसी पारखी नजर से कमियों का छुपना आसान नहीं है....आपकी टिप्पणी मेरे लिये बहुत मायने रखती है सर...!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 11:04pm

एक सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद. शुरुआत कहीं से तो हो.

लेकिन रचना सीधी-सपाट हो गयी, भाईजी.  और कहीं कहीं यह सपाटबयानी खल जाती है.

किन्तु आपकी इस रचना का एक अलग उद्येश्य है. वहाँ संभवतः ऐसी सीधी बात आवश्यक हो.

शुभ-शुभ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:27pm

मेरी रचना के समर्थन में एक अच्छी रचना साझा करने के लिये दिल से धन्यवाद अरुण भाई जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:26pm

हृदय से आभारी हूं आपका लक्ष्मण सर जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:24pm

बहुत - बहुत शुक्रिया विजय भाई !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:23pm

हां वंदना जी.....अंधी दौड़ को नकारा नहीं जा सकता.....लेकिन एकजुट होकर जागरुकता पैदा जरूर की जा सकती है....लोगों को पता चलना चाहिये कि एसी और फ्रिज के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से क्या - क्या नुकसान हो सकते हैं...बहुत ज्यादा गाडियों पर निर्भर होना कितना खतरनाक साबित होने वाला है भविष्य में......बूंद - बूंद से घड़ा भरता है......सब लोग सोचना शुरू करें तो बहुत कुछ हो सकता है...... बहरहाल सराहना हेतु आभारी हूं !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:18pm

कुंती जी......बात तो आपकी सही है.....लेकिन ये भी सही है कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत्'.....अति विज्ञान की वजह से प्रकृति का तंत्र अस्त व्यस्त हो रहा है......मौसम बिगड़ रहा है.....सबकुछ अनिश्चित होता जा रहा है.....यदि यही हाल रहा तो बहुत जल्दी ही जीना मुश्किल हो जायेगा.....बस इन्हीं सब बातों को लेकर ये रचना लिखी.......आपको पसंद आयी......हृदय से धन्यवाद !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:09pm

शुक्रिया प्रियंका सिंह जी !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 1, 2013 at 9:08pm

बधाई हेतु हृदय से आभार केवल प्रसाद भाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी, बहुत धन्यवाद।  1 अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए,…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ख़ुदकुशी आ गई है आदत में अब मज़ा आएगा बग़ावत में /1 आदत मतलब…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 1212…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें जिसको…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"मुहतरमा ऋचा यादव जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए आपको मुबारकबाद।  "काँटे चुभने लगे हैं…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल कही है आपने, शे'र दर शे'र दाद के…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service