For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल : इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे

बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम

फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२


इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे


आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे


चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे


जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे


हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं कर जायेंगे


(मौलिक एवं अप्रकाशित)

- विशाल चर्चित

Views: 1034

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 6:25pm

बहुत -बहुत शुक्रिया राजेश भाई !!!!

Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 2:51pm

जय हो आदरणीय, इस सुरीली गज़ल के लिए साधुवाद

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 9:47pm

हृदय से आपका आभार प्रियंका जी !!!!

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 8:55pm

वाह विशाल जी ....प्रेम भरी ....उमंगों भरी ....रचना के लिए बधाई आपको ....

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 1:28pm

राम शिरोमणि भाई बहुत - बहुत शुक्रिया !!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 1:27pm

निलेश भाई धन्यवाद आपका !!!

Comment by ram shiromani pathak on October 27, 2013 at 10:54am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय भाई विशाल जी  //हार्दिक बधाई आपको /सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 27, 2013 at 8:49am

बहुत सुंदर ग़ज़ल .. बधाई 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 10:56pm

गिरिराज सर जी आपके इस स्नेह के लिये आभारी हूं !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 10:54pm

बैद्यनाथ जी हृदय से धन्यवाद आपका !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service