(1) आजमाईश
न ख्वावों पे कर भरोसा कमबख्त टूट भी सकते है
और न यकीं दोस्तों पे कमबख्त लूट भी सकते हैं
हम यूँ ही नहीं कहते आजमाईश की है यारो
रिश्ते आज जो अपने से लगे ,कल छूट भी सकते हैं
(2) बेवजह
ताउम्र हम तेरी यादों में तड़पे
नज़रों से अपने तो आंसू भी बरसे
मगर तुमको हरगिज़ न आया तरस
पागल थे हम बेवजह ही जो तरसे
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
Comment
शुक्रिया सौरभ जी,फूल सिंह हौंसला अफजाई के लिए
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09350078399
०३/०९/१२.
शर्मा जी नमस्कार
सुंदर भावनाओ की प्रस्तुतिकरण ..........
फूल सिंह
कोमल भावनाओं का प्रस्तुतिकरण हुआ है. वाह वाह !
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