जीवन संगिनी
हार हार का टूट चुका जब
तुमसे ही आश बाँधी है
मैं नहीं तो तुम सही
समर्थ जीवन की ठानी है||
मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं
मोह माया में चूर नहीं मैं
साथ तुम्हारा मिल जाए तो
लक्ष्य से भी दूर नहीं मैं ||
सुख दुःख की घटना तो
जीवन में घटती रहती है
छोटी छोटी नोक झोंक भी
हर रिश्ते में होती है
छोड़ न देना साथ निभाना
तुमसे, प्रेम की डोर जो बाँधी है||
गलत किये थे कुछ निर्णय
ये बात भी स्वीकारी है
मैं गलत और तुम सही
गलती मैंने मानी है
मझधार में फसीं जिंदगी की
नैया पार लगानी है||
जीवन संगिनी बनकर,
मेरी जिंदगी, सँवारी है
घर नहीं मेरे दिल में रहना
बस ख़्वाहिश ये हमारी है
मैं नहीं तो तुम सही
समर्थ जीवन की ठानी है||
चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था
बौद्ध धर्म का बना अनुयायी
जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||
माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था
इष्ट देव शिव-शंकर पहले
ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||
परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था
महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा
सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||
बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका…
ContinuePosted on March 28, 2023 at 4:27pm — 1 Comment
कहाँ रहते वो कैसे रहते
उनसे न होती अपनी बात
वैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।।
खैरियत भी वो नहीं पूछते
क्या प्रेमभाव की करूँ मैं बात
अच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।।
हसी-मजाक, टिटौली चलती
हमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बात
कल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।।
आना-जाना लगा रहता था
मिलजुल कर पहले रहते…
ContinuePosted on February 21, 2023 at 9:38am — 4 Comments
प्यार-शहादत का दिन ये
क्यूं जज़्बात से किसी के खेले
एक ओर है पुलवामा की घटना
उधर, ले प्रेमियों के दिल हिचकोले।।
कितनों के सुहाग उजड़ गए
दुनियाँ, कितनों के लाल थे छोड़े
भाई बिन कितनी बहनें रोती
कितने, पिता की याद में रोते।।
कोई खुश है प्रेम को पाकर
कोई इंतजार में इत-उत डोले
रात-दिन है कोई जागता
कुछ प्रेमी की याद में रोते।।
बड़ा है दिन ये दोनों का ही
क्यूं अहमियत न इसकी समझें
श्रृद्धा-सुमन तू…
Posted on February 14, 2023 at 9:30am
अज्ञातवास जब समाप्त हुआ
पांडवों में साहस भरा
कनक सदृश तप कर आए
उनमें प्रखर उत्साह का तेज बड़ा।।
कायर दहलता विपत्ति में अक्सर
शूरमा विचलित न कभी हुआ
गले लगाकर हर दुःख-विध्न को
धीरज से उसका तेज हरा।।
कांटो भरी राह पर चलकर
उफ्फ तक न वो कभी किया
धूल के गहने पहन चरण में
साहस के सहारे बढ़ता गया।।
उद्योग निरत नित करता रहता
उसने सब सुख-सुविधाओ का त्याग किया
शूलों के सदा समूल विनाश को
राह स्वयं के विकास की…
Posted on February 12, 2023 at 8:29am — 2 Comments
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