For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काल का नियम कठोर है होता

सभी को इसको वरना हो

श्री राम अछूते रह सके न, क्या मानव जीवन का वर्णन हो||

 

आते साधू रूप में काल देवता

श्री राम से वचन एक लेना हो

गुप्त बात कोई सुन सके न, इस बात की पुष्टि प्रथम हो||

 

मृत्यु दंड का भागी होगा

विघ्न वार्तालाप में डाले जो  

लक्ष्मण को द्वारपाल बनाया, हनुमान न उपस्थित उस क्षण हो||

 

पूरा हुआ अब समय आपका  

वैंकुंठ धाम अब चलना हो

कर्म सभी तो हो चुके हैं, अवतरण जिनकी खातिर हो||

 

दुर्वासा ऋषि आ तब पहुँचते  

माया प्रभु की अद्भुत हो

दुनियाँ जानती उनके क्रोध को, वर-श्राप भी उनके कम न हो||

 

दुविधा में रहते लक्ष्मण जी है

कोई मार्ग के उनके सम्मुख हो

मृत्युदंड अब उन्हे मिलेगा, अन्यथा श्री राम श्राप के भागी हो||

 

मृत्युदंड है मुझको चुनना  

शायद धरा छोड़ अब चलना हो

उपस्थिति बताते दुर्वासा जी की, मिलना जरूरी जिनका हो||

 

तर्क-वितर्ककर मिला देश निकाला

पर समाधि को स्वीकारे वो

लक्ष्मण अपने परम धाम पधारे, जहाँ भव्य स्वागत उनका हो||

 

विलाप में रोते श्री राम जी

ये विचित्र डरावनी घटना हो

अजेय यौद्धा कहलाते है जो, स्वयं काल से इस बार हारे वो||

 

विधि की लेखनी टल नहीं सकती

सीख बड़ी दे जाते वो

दशानन को मारने वाले, आज गहन सोच में डूबे हो||

 

भ्रात प्रेम भी बड़ा अनोखा

भाई की शक्ति कहलाता जो

एक बाजू बन साथ निभाता, असहाय दूजे को करता जो||

 

जीकर भी अब क्या करूँ

जब लक्ष्मण मेरे साथ न हो

कदम-कदम पर जो साथ निभाया, जग उसके बिना अब सुना हो||

 

सोचते सोचते दिन गुजरते

इस निर्णय पर पहुंचे वो

सरयू नदी में प्राण गँवाना, दृढ़ निश्चय मन में लाएँ वो||

 

विचार-विमर्श कर सभासदों से

काम का वितरण करते वो     

सगे-संबंधी संग चले त्रिदश किनारे, निश्चित सरयू में उनका उतरना हो||

 

नारायण रूप में हुए समाहित

विष्णु रूप अवतारे जो  

वैंकुंठ धाम में प्रभु पहुंचे, जो युगों-युगो से अब तक सुना हो||

स्वरचित व मौलिक रचना 

Views: 68

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"अच्छी ग़ज़ल हुई है लक्ष्मण भाई। गुनीजनों के सुझावों पर विचार करें। बधाई"
2 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमीर जी अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें। सब गुनीजनों ने बहुत बारीकी से सब कह दिया है। पुनः…"
3 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें। बाक़ी सब चर्चा हो ही गई  है। अमित जी ने बहुत…"
4 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है। अमित जी विस्तार से सब कह चुके हैं। गौर कीजियेगा। सादर"
43 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. ऋचा जी, हज़ार के साथ ख्वाहिशें आना चाहिए। ख्वाहिशें पालता है हज़ार आदमी इसलिए रहता है बे- क़रार…"
45 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"धन्यवाद आ. ऋचा जी"
51 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से हर बार मार्ग दर्शन मिजता है और सीखने को मिलता है। आपको तहे दिल से…"
52 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"धन्यवाद आ. दयाराम जी"
52 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"बहुत बहुत आभार आ. चेतन जी"
53 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय समर कबीर जी, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ने को मिली। अच्छा लगा। बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक…"
59 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय निलेश नूर जी, बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। हर तरफ हैं बहुत…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service