वंदना करूँ मैं गिरजालाल की
सिद्धि विनायक बुद्धिनाथ की
स्वर्ण मुकुट व नयन विशाला, तिलक-त्रिपुंड कृष्णपिंगाक्ष की||
सुंदर पीताम्बर तन सुशोभित
बुद्धि-शुद्धि के दाता षडानन भ्रात की
रिद्धि-सिद्धि चँवर सुधारे
पति-परमेश्वर उनके लम्बोदरनाथ की||
गजकर्ण संग एक सूँड है जिनकी
प्रथम पूज्य प्रथमेश्वर महाराज की
मोदक, लड्डू जिनको प्यारे, माँ गिरजा के बाल-गोपाल की||
मूषकवाहन है जिनको प्यारा
समृद्धि के दाता एकाक्षरनाथ की
पाश, अंकुश जो हाथ में धरते, गौरीसुत, गणाध्यक्ष प्रभात की||
मात-पिता की प्रदक्षिणा करते
देवव्रत और सर्वसिद्धांत की
शेष-जग जिनकी महिमा गाते, विघ्नहर्ता गजानन महाराज की||
स्वरचित व मौलिक रचना
फूल सिंह, दिल्ली
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