For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Yogi Saraswat
  • Ghaziabad. U.P
  • India
Share on Facebook MySpace

Yogi Saraswat's Friends

  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • Dr. Swaran J. Omcawr
  • ASHISH KUMAAR TRIVEDI
  • केवल प्रसाद 'सत्यम'
  • ajay yadav
  • Parveen Malik
  • PHOOL SINGH
  • Ranveer Pratap Singh
  • Ashish Srivastava
  • yogesh shivhare
  • Rekha Joshi
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • कुमार गौरव अजीतेन्दु
  • दिव्या
  • Sonam Saini
 

Yogi Saraswat's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Ghaziabad, Uttar Pradesh
Native Place
Aligarh, Uttar Pradesh
Profession
Teaching
About me
Basically , I am A Teacher of Mechanical Engineerin but writting is my passion.

Yogi Saraswat's Blog

प्रेमिकाएं और डाक टिकट

अपनी पुरानी  डायरी में से आपके लिए कुछ हाज़िर कर रहा हूँ ! आशा है आपको पसंद आएगा !



ये प्रेमिकाएं बड़ी विकट  होती हैं

बिल्कुल  डाक टिकट होती हैं

क्योंकि जब ये सन्निकट होती हैं

तो आदमी की नीयत में थोडा सा इजाफा हो जाता है !

मगर जब ये चिपक जाती हैं तो

आदमी बिलकुल लिफाफा हो जाता है !!



सम्बन्धों के पानी से

या भावनाओं की गोंद से चिपकी हुई

जब ये साथ चल पड़ती हैं तो

अपने आप में हिस्ट्री बन जाती हैं !

जिंदगी के डाक खाने में उस लिफ़ाफ़े की

रजिस्ट्री…

Continue

Posted on March 30, 2013 at 10:44am — 16 Comments

क्षणिकाएं

लोकतंत्र

जहाँ हर नेता भ्रष्ट

हर अधिकारी घूस खाने को

स्वतंत्र है |

यही तो अपना

लोकतंत्र है ||



पहचान

लोकसभा और विधानसभा को

बना दिया जंग का मैदान |

देख कर इन नेताओं के कारनामे

लोग हो रहे हैरान ||



उजले कपड़ों के पीछे लिपटे

इंसानों की शक्लों में घूम रहे शैतान |

पचा गए यूरिया , खा गए चारा

बच के रहना मेरे भाई

कहीं खा ना जायें इंसान ||



कहें 'योगी ' कविराय

इन नेताओं से उठा…

Continue

Posted on September 7, 2012 at 2:00pm — 8 Comments

कंक्रीट के वृक्ष

यहाँ वृक्ष हुआ करते थे

जो कभी

लहलहाते थे

चरमराते थे

उनके पत्तों का

आपस का घर्षण

मन को छू लेता था

उनकी डालों की कर्कश

कभी आंधी में

डराती थी मन को  |

बारिश के मौसम की

खुशबू और ताज़गी

कुछ और बढ़ा देती थी

जीवन को  ||



उन वृक्षों की पांत

अब नहीं मिलती

देखने तक को भी

लेकिन , हाँ !

वृक्ष अब भी हैं

वही डिजाईन

वही उंचाई

शायद उंचाई तो कुछ

और भी ज्यादा हो

मगर इनसे…

Continue

Posted on August 21, 2012 at 1:00pm — 20 Comments

ये अंतर क्यों है ?

ओ सर्वव्यापी , ओ सर्वशक्तिमान

जब सब में है तू विद्यमान

तो इस दुनियाँ में ये

ऊँच-नीच का अंतर क्यों है ?



कोई कहे तुझे खुदा , कोई कहे तुझे भगवान्

करते जब सब तेरा ही गुणगान

तो इस मृत्युलोक  में

तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ?



ओ सर्वरक्षक , सर्वगुणों की खान

कैसा है तेरा विधान

जब सब तेरे बनाये हुए हैं

तो ये गोरे काले का अंतर क्यों है ?



तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान

कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन…

Continue

Posted on June 29, 2012 at 10:00am — 10 Comments

Comment Wall (9 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 4:11pm on June 1, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए श्री योगी सारस्वत जी, प्रभु आपको चहुँ ओर विकास का

मार्ग अग्रसर करे | आपका हमारा स्नेह यूँ ही बना रहे | शुभ शुभ 

At 6:32pm on March 31, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आये आपके घर खुशियों की डोली ,हमारी तरफ से आपको हैप्पी होली . आदरणीय धन्यवाद , आपकी हौसला अफजाई मेरी कविता के पौधे में खाद का काम कर रहे हैं . एक बार फिर धन्यवाद"

At 8:10pm on July 6, 2012, डॉ. सूर्या बाली "सूरज" said…

योगी जी आपकी सुंदर प्रतिकृया मिली उसके लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ। लेकिन क्षमा चाहूंगा इतनी तारीफ के लायक मैं नहीं हूँ...मैं तो अभी ग़ज़ल की एबीसीडी सीख रहा हूँ...इतने बड़े शायरों से मेरी तुलना करना सूरज को दिया दिखाने जैसे है। फिर भी आपकी भावनाओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।

At 7:05am on June 1, 2012, डॉ. सूर्या बाली "सूरज" said…

योगी जी जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ! ईश्वर आपको सदा स्वस्थ और मस्त रखें और आप साहित्य और देश की सेवा ऐसे ही करते रहें !!

At 12:24pm on May 25, 2012, डॉ. सूर्या बाली "सूरज" said…

योगी भाई बहुत बहुत आभार ! आपकी सुंदर प्रतिक्रियाएँ मिलती रहती हैं। अच्छा लगता है।

At 8:56pm on May 19, 2012, JAWAHAR LAL SINGH said…

वृक्ष सूखकर भी देखो
कितने काम हमारे आते हैं |
स्वयं जलकर आदमी को देते रोटी
परमार्थ का पाठ हमें पढ़ते हैं  ||

क्या यथार्थ बातें कही है आपने! योगी भी तो ऐसे ही होते हैं, अपने तन की सुध न रखकर अपनों के लिए रोते हैं! .....मैंने केवल तुकबंदी भिड़ाने की कोशिश की है....

 

At 5:51pm on May 17, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

aadarniya yogi ji. sadar vrakshon ki upyogita par aapki pahli rachna ka swagat hai. aap sundar likhen, likhne ki takniki main ijafa karen. badhai.

At 5:46pm on May 17, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

aadarniy yogi ji, aapka hardik swagat hai.

At 3:34pm on May 15, 2012, Rekha Joshi said…

yogi ji ,apka swaagt hae ,bahut achchha likha hae ,badhaai 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
17 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service