For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Yogi Saraswat's Blog (5)

प्रेमिकाएं और डाक टिकट

अपनी पुरानी  डायरी में से आपके लिए कुछ हाज़िर कर रहा हूँ ! आशा है आपको पसंद आएगा !



ये प्रेमिकाएं बड़ी विकट  होती हैं

बिल्कुल  डाक टिकट होती हैं

क्योंकि जब ये सन्निकट होती हैं

तो आदमी की नीयत में थोडा सा इजाफा हो जाता है !

मगर जब ये चिपक जाती हैं तो

आदमी बिलकुल लिफाफा हो जाता है !!



सम्बन्धों के पानी से

या भावनाओं की गोंद से चिपकी हुई

जब ये साथ चल पड़ती हैं तो

अपने आप में हिस्ट्री बन जाती हैं !

जिंदगी के डाक खाने में उस लिफ़ाफ़े की

रजिस्ट्री…

Continue

Added by Yogi Saraswat on March 30, 2013 at 10:44am — 16 Comments

क्षणिकाएं

लोकतंत्र

जहाँ हर नेता भ्रष्ट

हर अधिकारी घूस खाने को

स्वतंत्र है |

यही तो अपना

लोकतंत्र है ||



पहचान

लोकसभा और विधानसभा को

बना दिया जंग का मैदान |

देख कर इन नेताओं के कारनामे

लोग हो रहे हैरान ||



उजले कपड़ों के पीछे लिपटे

इंसानों की शक्लों में घूम रहे शैतान |

पचा गए यूरिया , खा गए चारा

बच के रहना मेरे भाई

कहीं खा ना जायें इंसान ||



कहें 'योगी ' कविराय

इन नेताओं से उठा…

Continue

Added by Yogi Saraswat on September 7, 2012 at 2:00pm — 8 Comments

कंक्रीट के वृक्ष

यहाँ वृक्ष हुआ करते थे

जो कभी

लहलहाते थे

चरमराते थे

उनके पत्तों का

आपस का घर्षण

मन को छू लेता था

उनकी डालों की कर्कश

कभी आंधी में

डराती थी मन को  |

बारिश के मौसम की

खुशबू और ताज़गी

कुछ और बढ़ा देती थी

जीवन को  ||



उन वृक्षों की पांत

अब नहीं मिलती

देखने तक को भी

लेकिन , हाँ !

वृक्ष अब भी हैं

वही डिजाईन

वही उंचाई

शायद उंचाई तो कुछ

और भी ज्यादा हो

मगर इनसे…

Continue

Added by Yogi Saraswat on August 21, 2012 at 1:00pm — 20 Comments

ये अंतर क्यों है ?

ओ सर्वव्यापी , ओ सर्वशक्तिमान

जब सब में है तू विद्यमान

तो इस दुनियाँ में ये

ऊँच-नीच का अंतर क्यों है ?



कोई कहे तुझे खुदा , कोई कहे तुझे भगवान्

करते जब सब तेरा ही गुणगान

तो इस मृत्युलोक  में

तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ?



ओ सर्वरक्षक , सर्वगुणों की खान

कैसा है तेरा विधान

जब सब तेरे बनाये हुए हैं

तो ये गोरे काले का अंतर क्यों है ?



तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान

कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन…

Continue

Added by Yogi Saraswat on June 29, 2012 at 10:00am — 10 Comments

वृक्ष

हरे भरे ये वृक्ष हमारे

 देते ठंडी ठंडी छांव |

सबको जरूरत रहती इनकी

 नगर हो या हो गाँव  ||…

Continue

Added by Yogi Saraswat on May 14, 2012 at 3:31pm — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service