For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हरे भरे ये वृक्ष हमारे
 देते ठंडी ठंडी छांव |
सबको जरूरत रहती इनकी
 नगर हो या हो गाँव  ||


बसंत के प्यारे मौसम में
नई -नई पत्ती जब आती हैं  |
थोड़ी सी ही जब चले पवन
झूम झूम ये लहराती हैं  ||

आते हैं जब इन पर फल
इनकी डालें झुक जाती हैं |
ना करो तुम घमंड कभी
बिन बोले ये कह जाती हैं  ||

वृक्ष सूखकर भी देखो
कितने काम हमारे आते हैं |
स्वयं जलकर आदमी को देते रोटी
परमार्थ का पाठ हमें पढ़ते हैं  ||

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on March 19, 2013 at 2:33pm

bahut bahut dhanywad shri ajay kumar bohat ji

Comment by Yogi Saraswat on May 26, 2012 at 3:33pm

बहुत बहुत धन्यवाद श्री भ्रमर साब ! सहयोग बनाये रखियेगा

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:38pm

बसंत के प्यारे मौसम में 
नई -नई पत्ती जब आती हैं  |
थोड़ी सी ही जब चले पवन 
झूम झूम ये लहराती हैं  ||

आते हैं जब इन पर फल 
इनकी डालें झुक जाती हैं |
ना करो तुम घमंड कभी 
बिन बोले ये कह जाती हैं  ||

प्रिय योगी जी सुन्दर सन्देश देती रचना काश सब हरा भरा रहे ....भ्रमर ५ 

Comment by Yogi Saraswat on May 20, 2012 at 12:17pm

आदरणीय श्री रक्ताले जी सादर नमस्कार ! बहुत बहुत शुक्रिया ! आपका आशीर्वाद मिला !

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:26am

योगी जी
        सादर नमस्कार,
              आते हैं जब इन पर फल
        इनकी डालें झुक जाती हैं |
              ना करो तुम घमंड कभी
        बिन बोले ये कह जाती हैं  ||
 बहुत सुन्दर सन्देश देती काव्य रचना. यदि मानव इनसे कुछ सीख सके तो क्या बात हो. बधाई.

Comment by Yogi Saraswat on May 18, 2012 at 10:21am

bahut bahut dhnywad adarniya shri dr. surya baali ji . aapka aashirwad mila , khushi hui !

Comment by Yogi Saraswat on May 16, 2012 at 4:28pm

adarniya shri dr, baali aapka aashirwad mila , bahut bahut dhnywad !

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:58pm

योगी जी सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई !

आते हैं जब इन पर फल
इनकी डालें झुक जाती हैं |
ना करो तुम घमंड कभी
बिन बोले ये कह जाती हैं  ||

खूबसूरत अभिव्यक्ति !

Comment by Yogi Saraswat on May 16, 2012 at 12:35pm

bahut bahut dhanywad , adarniya rekha joshi ji !

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 10:37am

स्वयं जल कर आदमी को देते रोटी ,

परमार्थ का पाठ पढाते है |बहुत बढ़िया ,बधाई  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
45 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service