Posted on April 9, 2013 at 6:00pm — 5 Comments
तृतीय खंड
पाठक के लिए:
Posted on April 5, 2013 at 11:39am — 14 Comments
तृतीय खंड
पाठक के लिए:
Posted on April 4, 2013 at 4:23pm — 11 Comments
गंगा, (ज्ञान गंगा व जल गंगा) दोनों ही अपने शाश्वत सुन्दरतम मूल स्वभाव से दूर पर्दुषित व व्यथित, हमारी काव्य कथा नायक 'ज्ञानी' से संवादरत हैं।
Posted on April 1, 2013 at 7:56pm — 16 Comments
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Comment Wall (3 comments)
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आये आपके घर खुशियों की डोली ,हमारी तरफ से आपको हैप्पी होली . आदरणीय धन्यवाद , आपकी हौसला अफजाई मेरी कविता के पौधे में खाद का काम कर रहे हैं . एक बार फिर धन्यवाद"
हार्दिक स्वागत है आपका डॉ स्वरण जे ओमाकवर जी मित्रता स्वीकार करते हुए मुझे बेहद
ख़ुशी अनुभव हो रही है | सदभाव बनाए रखे डॉ साहिब
डाक्टर साहिब,
आपका नाम इस ब्लॉग में देख कर बहुत खुशी हुई