For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ashish Srivastava
  • Male
  • Lucknow
  • India
Share on Facebook MySpace

Ashish Srivastava's Friends

  • सीमा शर्मा मेरठी
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
  • गिरिराज भंडारी
  • Vasundhara pandey
  • ASHISH KUMAAR TRIVEDI
  • ram shiromani pathak
  • Shyam Narain Verma
  • deepti sharma
  • Albela Khatri
  • Shailesh Kumar Maurya
  • Yogi Saraswat
  • Rekha Joshi
  • SANDEEP KUMAR PATEL
  • Dr.Prachi Singh
 

Ashish Srivastava's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Lucknow
Native Place
Lucknow
Profession
Service

Ashish Srivastava's Photos

  • Add Photos
  • View All

Ashish Srivastava's Blog

गजल

२ २ १ १ / २ २ १ १ / २ २ १ २ / १ २  
भावों से पले शब्द तो वो छंद हो गए 
कान्हा जो रहे पाल बाबा नंद हो गए 
.
छूकर के गया कृष्ण तो ये मन भी कह उठा 
फूलों से मिले शूल तो मकरंद हो गए
.
आखों को लगे छू रहा है आज तन बदन  
दर्द ऐ दिल की आज तो वो रंद हो गए 
.
नफरत से भरे ज्ञान की दीवार को गिरा  
हर भोर ख़ुशी गा रही आनंद हो गए 
.
राधा से मिले कृष्ण अधर पे है…
Continue

Posted on May 12, 2014 at 10:00pm — 16 Comments

जाने कैसे कैसे मंजर देखे है - गजल

बहर  : २ २ २ २ / २ २ २ २/ २ २ २ 
चोरी से अश'आर उठाकर देखे है 
रोज बनाते कविता सागर देखे है 
अक्सर लोग उठाते कंकर देखे है 
हमने विष पीते प्रलयंकर देखे है  
जिनको लिख के पढ़ के छोड़ दिया था 
आवाज लगाते वो अक्षर देखे है 
अभिमान भरे मस्तक भी ऊँचे तो क्या  
हमने घुटने टेके अकबर देखे है 
जो सब खुद को सच्चा साफ़ बताते हैं  
वो रिश्वत मांग रहे अफसर देखे है 
तुमको वो बेईमान समझते…
Continue

Posted on April 26, 2014 at 10:00pm — 9 Comments

दुर्मिल सवैया - दो छंद

हर बार यही दिल बोल रहा , उनका पिय जो अब मीच जली 
अपना अपराध नहीं कुछ था,फिर भी कहि कै तुम नीच जली  
उस राह सिवाय विकल्प नहीं, बन प्रेम धरा इहि कीच जली 
हमसे वह क्यूँ टकराय गयी , इहि कारन टोकरि बीच जली 
+++++++++++++++++++++++++++++++++++++

खनकी,झनकी,लिपटी मुझसे पियकी चुटकी चटकी सि भली   

हलकी फुलकी छलकी बलकी, ठुमकी सिमटी सलकी सि कली 

अछरी, लहरी गहरी उमरी ,  अंधरी बिजुरी धुंधरी सि गली 
निकरी निय टोकरि प्रेम…
Continue

Posted on January 21, 2014 at 11:08am — 6 Comments

घनाक्षरी

ममता का चित बड़ा चंचल चपल तब 

तन मे सचल मन बड़ा ही प्रचल है 

रमता ये जोगी छोटा नाटा ये कपट कब   

तन में उदित मन बड़ा ही स्वचल है

समता का भाव जागा मन में भी मेरे अब   

तन में न हलचल मन निशचल है  

तमता नहीं है भाव में रहे निचल रब  

तल में अतल में वितल में अचल है  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आशीष (सागर सुमन)

Posted on January 8, 2014 at 5:58pm — 9 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:06am on May 25, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....... 

At 12:20pm on April 23, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आपका स्वागत है मित्र  i

At 1:07pm on August 27, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

स्वागत है , आशीष भाई !! मेरा भी असली सरनेम श्रीवास्तव है, भंडारी ,खैरागढ़् के राजा द्वारा प्रदत्त उपाधी है! 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
17 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service