For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

जिसे कहते भारत का गौरव

आज उस सम्राट की गाथा कहता हूँ

स्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥

 

विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थी

जिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँ

कीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥

 

स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ पर

धन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँ

सच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता हूँ॥

 

पहचान करता सच्चा जौहरी

अतुलनीय-अनमोल सम्राट उन्हें मैं कहता हूँ

हर क्षेत्र में महारत हासिल, जिनकी न तुलना किसी से पाता हूँ॥

 

ज्ञान-ध्यान में महान समय के

जिनके नवरत्नों को अनुपम कहता हूँ

एक से बढ़कर एक थे सारे, जिसका राजा को श्रेय सब देता हूँ॥

 

प्रधान चिकित्सक धन्वंतरी जिनके

जिन्हें अद्भुत आयुर्वेद का ज्ञाता कहता हूँ

रोग-बीमारी टिक नहीं सकती, जानकार हर औषधियों का उनको पाता हूँ॥

 

माँ सरस्वती की कृपा जिन पर देखी

लेखनी कालिदास की चमत्कारी कहता हूँ

अंतहीन कीर्ति अद्भुत रचनाएँ, जिनसे अद्भुत काव्य-नाटकों का संग्रह पाता हूँ॥

 

पत्रकौमुदी विद्यासुंदर के लेखक

वररुचि जिन्हें कवि अनोखा कहता हूँ

तान छेड़ते अतुलनीय ऐसी, मंत्रमुग्ध सभी को पाता हूँ॥

 

विख्यात जिनकी ज्योतिष गणना

जिन्हें वराहमिहिर महान खगोलशास्त्री कहता हूँ

शोध निरंतर करते रहते, मज़बूत ग्रह-नक्षत्रों पर पकड़ मैं उनकी पाता हूँ॥

 

किस्से-कहानी से समस्या सुलझाते

कथा वेताल पञ्चविंशतिका की कहता हूँ

भूत-पिशाच व माया के स्वामी, वेताल भट्ट को पाता हूँ॥

 

यमक काव्य के महान पंडित

कवि विलक्षण घटकर्पर को कहता हूँ

सुंदर रचनाएँ उनकी नीतिसार में, आज भी आनंदित पाठक को पाता हूँ॥

 

नीति शास्त्र के महाज्ञानी जो

जिन्हें धर्मशास्त्र का रक्षक कहता हूँ

अनेकार्थध्वनिमंजरी के जो रचियता, उन्हें क्षपणक सिद्ध मुनि दिगंबर कहता हूँ॥

 

मंत्रोच्चारण में प्रवीण रही

जिन्हें ज्योतिष साहित्य की ज्ञाता कहता हूँ

बहुमुखी प्रतिभा की धनी कहलाती, स्वामिनी शंकु माता जिन्हें पाता हूँ॥

 

सचिव बन जो संरक्षण पाते

संस्कृत पंडित अमर सिंह को कहता हूँ

विलक्षण कवि जो सम्राट के प्यारे, उनकी अमूल्य नवरत्नों में जगह मैं पाता हूँ॥

 

कला-ज्ञान-विज्ञान के रक्षक

जिनका साहित्य-ज्योतिष उच्च स्तर का कहता हूँ

स्वर्णिम युग था वह भारत का, इसे तब सोने की चिड़िया पाता हूँ॥

 

न्याय किए थे जो देवी-देवता

शिकार उन्हें शनिदेव के प्रकोप का कहता हूँ

धर्म से अपने डिगे कभी न, उन सम्राट को न्याय की मूर्ति पाता हूँ॥

 

याचक बन आते जग-जहान से

उनकी प्रतिभा की प्रभा कहता हूँ

दिग-दिगांतर प्रकाशित रहेगी, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की महिमा गाता हूँ॥

स्वरचित व मौलिक रचना 

Views: 65

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ.भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service