उदार शासक एक वीर योद्धा
कला-प्रतिभा का संरक्षक जिसे कहा
गुप्त वंश एक महान योद्धा, जिसे भारत का नेपोलियन सबने कहा।।
चंद्रगुप्त प्रथम का राजदुलारा
कुमारदेवी का पुत्र रहा
विनयशील जो मृदुलवाणी का, प्रखर बुद्धि का स्वामी हुआ।।
उत्तराधिकारी का प्रबल दावेदार
पराजित अग्रज काछा भी उससे हुआ
विजय अभियान की ख़ातिर जाना जाता, अजय-अभय एक योद्धा रहा।।
गृह कलह को शांत है…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on March 1, 2024 at 4:30pm — No Comments
राजपूत राजाओं को संगठित करता
एक मेवाड़ का अद्भुत शासक था
थर-थर कांपते शत्रु जिससे, वह संग्राम सिंह महाराजा था॥
वीरता-उदारता का समावेश था जिसमें
सिसोदिया वंश का गौरव था
विस्तार किया जो साम्राज्य का, हिंद देश का रक्षक था॥
सौ लड़ाइयाँ लड़ी थी जिसने
खो आँख-हाथ-पैर को बैठा था
एक छत्र के नीचे लाया राजपूतों को, शक्तिशाली ऐसा उत्तर भारत का राजा था॥
सतलुज से लेकर नर्मदा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 23, 2024 at 2:54pm — No Comments
जिसे कहते भारत का गौरव
आज उस सम्राट की गाथा कहता हूँ
स्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥
विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थी
जिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँ
कीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥
स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ पर
धन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँ
सच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 15, 2024 at 10:00am — No Comments
हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता है
हरियाली-साहस, सत्य दर्शाता
प्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥
राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता है
आन-बान-शान भारत देश की
हर भारतीय की जान कहलाता है॥
सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा है
विभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 21, 2023 at 11:51am — No Comments
चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था
बौद्ध धर्म का बना अनुयायी
जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||
माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था
इष्ट देव शिव-शंकर पहले
ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||
परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था
महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा
सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||
बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on March 28, 2023 at 4:27pm — 1 Comment
कहाँ रहते वो कैसे रहते
उनसे न होती अपनी बात
वैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।।
खैरियत भी वो नहीं पूछते
क्या प्रेमभाव की करूँ मैं बात
अच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।।
हसी-मजाक, टिटौली चलती
हमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बात
कल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।।
आना-जाना लगा रहता था
मिलजुल कर पहले रहते…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on February 21, 2023 at 9:38am — 4 Comments
प्यार-शहादत का दिन ये
क्यूं जज़्बात से किसी के खेले
एक ओर है पुलवामा की घटना
उधर, ले प्रेमियों के दिल हिचकोले।।
कितनों के सुहाग उजड़ गए
दुनियाँ, कितनों के लाल थे छोड़े
भाई बिन कितनी बहनें रोती
कितने, पिता की याद में रोते।।
कोई खुश है प्रेम को पाकर
कोई इंतजार में इत-उत डोले
रात-दिन है कोई जागता
कुछ प्रेमी की याद में रोते।।
बड़ा है दिन ये दोनों का ही
क्यूं अहमियत न इसकी समझें
श्रृद्धा-सुमन तू…
Added by PHOOL SINGH on February 14, 2023 at 9:30am — No Comments
अज्ञातवास जब समाप्त हुआ
पांडवों में साहस भरा
कनक सदृश तप कर आए
उनमें प्रखर उत्साह का तेज बड़ा।।
कायर दहलता विपत्ति में अक्सर
शूरमा विचलित न कभी हुआ
गले लगाकर हर दुःख-विध्न को
धीरज से उसका तेज हरा।।
कांटो भरी राह पर चलकर
उफ्फ तक न वो कभी किया
धूल के गहने पहन चरण में
साहस के सहारे बढ़ता गया।।
उद्योग निरत नित करता रहता
उसने सब सुख-सुविधाओ का त्याग किया
शूलों के सदा समूल विनाश को
राह स्वयं के विकास की…
Added by PHOOL SINGH on February 12, 2023 at 8:29am — 2 Comments
हवन की अग्नि बुझ चुकी थी
शिक्षा प्राप्ति की आई बात
गुरू द्रोण ने जब इंकार किया तो
भगवान परशुराम की आई याद।।
नीड़ो में था कोलाहल जारी
फूलों से महका उपवन
ज्ञान की जिज्ञासा थी मन में भड़की
निकला खोज में जिसकी कर्ण।।
द्वार तृण-कुटी पर परशु भारी
आभाशाली-भीषण जो भारी भरकम
धनुष-बाण एक ओर टंगे थे
पालाश, कमंडलू, अर्ध अंशुमाली एक पड़ा लौह-दंड।।
अचरज की थी बात निराली
तपोवन में किसनें वीरता पाली
धनुष-कुठार…
Added by PHOOL SINGH on February 11, 2023 at 7:21am — No Comments
सूर्य कहलाएं पिता थे जिसके
माता सती कुमारी
जननी का क्षीर चखा न जिसने
वो वीर अद्भुत धनुर्धारी।।
निज समाधि में निरत रहा जो
स्वयं विकास किया था भारी
पालना बनी थी आब की धारा
बिछौना बनी पिटारी।।
ज्ञानी-ध्यानी, प्रतापी-तपस्वी
जिसका पौरुष था अभिमानी
कोलाहल से दूर नगर के
जो सम्यक अभ्यास का था पुजारी।।
नतमस्त्क करता प्रतिबल को
लगाता घात विजय की खूब दिखा
प्रचंडतम धूमकेतु-सा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on February 10, 2023 at 11:00am — No Comments
महाराणा प्रताप
चितौड़ भूमि के हर कण में बसता
जन जन की जो वाणी थी
वीर अनोखा महाराणा था
शूरवीरता जिसकी निशानी थी
चित्तौड़ भूमि के हर कण में बसता, जन-जन की जो वाणी थी।।
स्वाभिमान खोए सब राणा जी
किरण चिंता की माथे पर दिखाई दी
महाराणा का जन्म हुआ तो
महल में खुशियाँ छाई थी
चित्तौड़ भूमि के हर कण में बसता, जन-जन की जो वाणी थी।।
बप्पा रावल का शोनित रग-रग में बहता
न सोच सुख-दुःख, क्लेश…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 30, 2023 at 11:30am — No Comments
डर से जिनके थर्र-थर्र कांपे
जो मुगलों की नींव हिला बैठे
हमला करेंगे कब-कहाँ शिवाजी, नींद, उनकी उड़ा बैठे|
जीजा-शाहजी के पुत्र प्यारे
माँ शिवाई के उपासक थे
माता के नाम से शमशीर पास में, नाम उन्हीं से पाये थे|
हृदय सम्राट कहते थे उनको
काम जनता भलाई के करते थे
अष्ट प्रधान दरबार विराजे, जो मंत्रीपरिषद के सदस्य थे|
नारी का सम्मान हमेशा
नारी हिंसा-उत्पीड़न के…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 27, 2023 at 2:30pm — No Comments
गुरु प्रथा को आज यहाँ
मैं काव्य रूप में कहता हूँ
क्षमा माँगता कर जोड़कर
जो कुछ गलत कह जाता हूँ||
शीश झुकाऊँ गुरु चरण में
आज यहाँ गुरु की महिमा कहता हूँ
अंतरात्मा पवित्र है मेरी
जिसे गंगा सी पवित्र बतलाता हूँ||
हिंदू-इस्लाम से अलग धर्म एक
जिसे सिख धर्म बतलाता हूँ
पहले गुरु थे नानकदेव जी
धर्मग्रंथ ‘गुरुग्रंथ शाहिब’ मैं कहता हूँ||
तलवंडी में जन्म जो पाये
आज ननकाना उसे कहता…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 27, 2023 at 12:00pm — No Comments
अंधा, बहरा कभी गूंगा बनता
रिश्तों की जिसको परवाह हो
मान-अपमान का भोग भी करता
चिंतित रहता, परिवार पर उसके कलंक न हो।।
सोच-समझकर सही फैसले लेता
ताकि घर में कलह न हो
उत्तरदायित्व भी लेता हरदम
फैसलों में उसके कभी दो राय न हो।।
शान-शौकत सब भूलता अपनी
पद-प्रतिष्ठा का भी अभिमान न हो
सबकी खुशी में उसकी खुशी है
चाहे किए त्याग का नाम न हो।।
होती जिम्मेदारियां बड़ी है उसकी
जग में चाहे…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on August 23, 2022 at 11:00am — 1 Comment
सुनसान सड़क, सुनसान रात है, सुनसान सबके अन्तर्मन
कैसे विपदा आन पड़ी ये, दुख, तड़प और है उलझन ||
चिराग भुझ रहे हर पल, हर क्षण, लगा दो चाहे तन, मन, धन
कड़ा समाधान न मिला अभी तक, जकड़ रहा है गहरा तम ||
भूख, प्यास और खाली है घर, रोजी रोटी भी हो गई बंद
वायु में जैसे विष घुला है, कैसा संकट ये कैसा कष्ट ||
हर पीड़ित अब यही पूछता, भूख लगने पर हो बंधन
पापी-खाली पेट तो मान रहा न, कैसे इच्छापूर्ति करेगा रंक ||
हाथ…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on April 18, 2021 at 10:00am — No Comments
शिकायत कभी भी खत्म ना होती
कोई जीवन चाहे कुर्बान करें
खाली दिमाग का सब फितूर है
ये सोच के अपना काम करें ||
हर तरह के लोग जहां में
बस मेहनती लोगो की बात करें
कष्ट सहकर भी हार ना माने
जज्बे को उनके सलाम करें ||
पद मिले तो अभिमान में भरते
ना बड़े-छोटे का सम्मान करें
संस्कारों की बात कहीं ना
बस अपने कर्मो का गुणगान करें ||
कुछ लोगो की आदत बुरी है
उनकी कभी ना बात करें
हर…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 27, 2021 at 6:30pm — 1 Comment
मौन रहता सच सदा ही, आवाज झूठ ही करता है
कर्म दिखाता सच का चेहरा, झूठ भ्रम को पैदा करता है ||
प्रमाण देता झूठ सदा ही, खूब खोखले दावे करता है
परवाह ना सच को किसी बात की, वो तो हौंसले की उड़ान को भरता है ||
तकलीफ होती झूठ को हरदम, ना खुशी बर्दास्त ही करता है
आग लगाता कहीं ना कहीं, जब भी शोर वो करता है ||
सच सागर सी शक्ति का मालिक, सदा मर्यादा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 20, 2021 at 9:59pm — 1 Comment
धन, दौलत तो उपयोग की वस्तु, जाती कभी भी साथ नहीं
कद्र ना होती उस शख्स की, पैसा जिसके पास नहीं ||
आज बचा लो कल मिलेगा, इसे बचाना दोष नहीं
दर-दर की वो ठोकर खाता, गरीब की कोई औकात नहीं ||
सुख-वैभव उसके दर विराजे, पैसो की ना जिसके पास कमी
अनकहे रिश्ते खुद बन जाते, आदर्श बनती हर बात कही ||
कुछ दोष तो यूं छिप जाते, उम्मीद जिसकी होती…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 19, 2020 at 1:44pm — 2 Comments
एक भ्रात है भरत के जैसा,
जिसमें कुछ पाने का भाव नहीं
समर्पित करता भ्रात चरण में,
राज्य संग सुख, चैन सभी ||
तिलभर भी छल ना मन में,
जग भी उसके साथ नहीं
कठोरता/ताने सहता सारे जन की,
मातृ की करनी उसकी सभी ||
विभीषण भी एक भ्रात उधर है
सिंहासन पर जिसकी आँख लगी
कठिन समय में भ्रात छोड़ता,
शत्रुओं को बताता भेद सभी ||
ना अंतक्रिया भी भ्रात की करता
सुख-भोग से भी इंकार…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 15, 2020 at 6:58pm — 2 Comments
कब रुका जो आज रुकेगा, वक़्त है ये तो चलता रहेगा
वक्त पर हकूमत कर सके ऐसा, नहीं जन्मा जो अब जन्मेगा ||
संग में इसके हँसना-रोना, सबको संग में इसके चलना पड़ेगा
अटल होकर चल रहा जो, उसे, वक़्त के आगे झुकना पड़ेगा ||
बेदर्दी ये वक़्त बड़ा है, घाव-क्लेश तो देता रहेगा
खुशियों के पल छोटे करके, दशा पर तेरी हँसता रहेगा ||
आस बांधता, विश्वास दिलाता, विश्वासघात भी करता रहेगा
गिरगिट जैसा रूप बदल कर, अनुभव खट्टे-मीठे देता रहेगा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 3, 2020 at 2:30pm — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |