कहाँ रहते वो कैसे रहते
उनसे न होती अपनी बात
वैर भाव की बात नही ये, अब उनसे न कोई दुआ-सलाम।।
खैरियत भी वो नहीं पूछते
क्या प्रेमभाव की करूँ मैं बात
अच्छे-खासे रिश्ते उनसे, न जानें क्यूँ वो रहते नाराज।।
हसी-मजाक, टिटौली चलती
हमारी कौन सी लगी उन्हें बुरी बात
कल तक थे जो अपनों से बढ़कर, है आज उसने दूरी खास।।
आना-जाना लगा रहता था
मिलजुल कर पहले रहते साथ
सही सलामत है कि नही वें, अब मिलता नहीं है कोई समाचार।।
जीवन है चलता रहेगा
घबराने की न इसमे बात
सुख-दुख होते वक़्त के पहिये, आज तेरे कल उसके साथ||
समस्या है तो समाधान भी होगा
बात करने से क्यूँ ऐतराज
कोशिश करेंगे अपनी पूरी, पर देंगे जरूर उन्हे कोई समाधान।।
मौलिक व अप्रकाशित रचना
Comment
आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बढ़िया है
आ. भाई फूल सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
बहुत बहुत आभार आपका ...
आदरणीय फूल सिंह जी सकरात्मकता लिए हुए अच्छी रचना हुई। बधाई स्वीकारें।
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