For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक वीर, ऐसा जन्मा था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था, सोचा था तब, किसी ने

“ऐसा” कारनामा, उसे करना था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था ||

 

जीवन के संघर्षो से, ना उसे कभी

डरना था, रूढ़िवादी धारा को भी,

उसे, आगे जा बदलना था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था ||

 

सती हो जाती थी, जो नारी,

सुहाग गंवाने पर, “पुर्नविवाह”,

का अधिकार, उसे दिलाना था

महिलाओं के उत्पीड़न की दमनकारी

निति को अब हटना था

समान अधिकार से, जी सके वो

ऐसा भी, कुछ करना था

इस भारत माँ की, धरती पर,

एक वीर, ऐसा जन्मा था

 

दबे कुचले समाज के उद्धार के

लिए ही जिस वीर को, जीना मरना था

छुआछूत को नष्ट कर,

दलितों में सामाजिक सुधार, जो करना था

भारतीय संविधान में निहीत अधिकारों

तथा मौलिक हकों की रक्षा कर

एक नैतिक तथा जातिमुक्त समाज की रचना कर

विकास मार्ग प्रशस्त करना था

एक वीर ऐसा जन्मा था

   

धर्म कर्म को छोड़, उसे, सत मार्ग को चुनना था

झूठे आडम्बरो से निकल कर

ज्ञान पथ पर चलना था, पूंजीवादी समाज में उसने

भेद अमीर गरीब का, मिटाने का संकल्प हृदय में

रख उसको स्वतंत्रता का, बीज भी बोना था

एक वीर ऐसा जन्मा था

 

उन्मूलन कर हर समस्या का

देश को न्याय कानून से चलना था

न्याय मांगती जनता के

कष्टों को भी हरना था

बिना संविधान के चलती

“सत्ता की” निति का हनन जो करना था

एक वीर ऐसा जन्मा था

 

सभी देशो के, संविधान को पढ़कर

उसे लिखित संविधान को

रचकर उसे, लोकतंत्र का निर्माण

जो करना था, अपंग हो चली संस्कृति को

विकास मार्ग पथ पर बढ़ना था,

समाज को शिक्षित करना था

एक वीर ऐसा जन्मा था

 

विश्व का सर्वश्रेष्ठ विधिवेत्ता

और अर्थशास्त्री भी कहलाया था

समाज सुधारक ऐसा निकला

जिसने सबको समान

अधिकार दिलाया था

मानव मानव में भेद मिटाकर

उजाला हर जीवन में लाया था

एक वीर ऐसा जन्मा था

 

इतिहास के पन्नो पर, किस्सा ऐसा गढ़ना था

सोच ना सके कोई, ऐसा अध्याय को जुड़ना था

मानव में भेद कराती पुस्तकों

और मनुस्मृति को,  भी जलना था

इस भारत माँ की, धरती पर, एक वीर,

ऐसा जन्मा था, सोचा था तब, किसी ने

“ऐसा” कारनामा, उसे करना था

एक वीर ऐसा जन्मा था

मौलिक अप्रकाशित

Views: 338

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PHOOL SINGH on January 9, 2019 at 12:40pm

"भाई" संविधान निर्माता को मैंने इस तरह से नमन करने की कोशिश की जिसके वजह से हम आज रूढ़िवादिता और न्यायधिकरत समाज में जी रहे है कोई गलती हुई तो माफ़ करें और हमेशा मार्गदर्शन करते रहें|

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 9:18am

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। यह रचना किस शैली में है या इसका शिल्प क्या है, यह समझ में नहीं आया,, तुकांतता भी ठीक से निभ नहीं पाई। विषय अच्छा चुना आपने। संकेतो में बहुत कुछ कहने की कोशिश अच्छी लगी। बधाई देता हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुंदर सीख देती उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
7 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service