इस भारत माँ की, धरती पर,
एक वीर, ऐसा जन्मा था, सोचा था तब, किसी ने
“ऐसा” कारनामा, उसे करना था
इस भारत माँ की, धरती पर,
एक वीर, ऐसा जन्मा था ||
जीवन के संघर्षो से, ना उसे कभी
डरना था, रूढ़िवादी धारा को भी,
उसे, आगे जा बदलना था
इस भारत माँ की, धरती पर,
एक वीर, ऐसा जन्मा था ||
सती हो जाती थी, जो नारी,
सुहाग गंवाने पर, “पुर्नविवाह”,
का अधिकार, उसे दिलाना था
महिलाओं के उत्पीड़न की दमनकारी
निति को अब हटना था
समान अधिकार से, जी सके वो
ऐसा भी, कुछ करना था
इस भारत माँ की, धरती पर,
एक वीर, ऐसा जन्मा था
दबे कुचले समाज के उद्धार के
लिए ही जिस वीर को, जीना मरना था
छुआछूत को नष्ट कर,
दलितों में सामाजिक सुधार, जो करना था
भारतीय संविधान में निहीत अधिकारों
तथा मौलिक हकों की रक्षा कर
एक नैतिक तथा जातिमुक्त समाज की रचना कर
विकास मार्ग प्रशस्त करना था
एक वीर ऐसा जन्मा था
धर्म कर्म को छोड़, उसे, सत मार्ग को चुनना था
झूठे आडम्बरो से निकल कर
ज्ञान पथ पर चलना था, पूंजीवादी समाज में उसने
भेद अमीर गरीब का, मिटाने का संकल्प हृदय में
रख उसको स्वतंत्रता का, बीज भी बोना था
एक वीर ऐसा जन्मा था
उन्मूलन कर हर समस्या का
देश को न्याय कानून से चलना था
न्याय मांगती जनता के
कष्टों को भी हरना था
बिना संविधान के चलती
“सत्ता की” निति का हनन जो करना था
एक वीर ऐसा जन्मा था
सभी देशो के, संविधान को पढ़कर
उसे लिखित संविधान को
रचकर उसे, लोकतंत्र का निर्माण
जो करना था, अपंग हो चली संस्कृति को
विकास मार्ग पथ पर बढ़ना था,
समाज को शिक्षित करना था
एक वीर ऐसा जन्मा था
विश्व का सर्वश्रेष्ठ विधिवेत्ता
और अर्थशास्त्री भी कहलाया था
समाज सुधारक ऐसा निकला
जिसने सबको समान
अधिकार दिलाया था
मानव मानव में भेद मिटाकर
उजाला हर जीवन में लाया था
एक वीर ऐसा जन्मा था
इतिहास के पन्नो पर, किस्सा ऐसा गढ़ना था
सोच ना सके कोई, ऐसा अध्याय को जुड़ना था
मानव में भेद कराती पुस्तकों
और मनुस्मृति को, भी जलना था
इस भारत माँ की, धरती पर, एक वीर,
ऐसा जन्मा था, सोचा था तब, किसी ने
“ऐसा” कारनामा, उसे करना था
एक वीर ऐसा जन्मा था
मौलिक अप्रकाशित
Comment
"भाई" संविधान निर्माता को मैंने इस तरह से नमन करने की कोशिश की जिसके वजह से हम आज रूढ़िवादिता और न्यायधिकरत समाज में जी रहे है कोई गलती हुई तो माफ़ करें और हमेशा मार्गदर्शन करते रहें|
आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। यह रचना किस शैली में है या इसका शिल्प क्या है, यह समझ में नहीं आया,, तुकांतता भी ठीक से निभ नहीं पाई। विषय अच्छा चुना आपने। संकेतो में बहुत कुछ कहने की कोशिश अच्छी लगी। बधाई देता हूँ।
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