For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक राज कहत बानी....................

सब जान के चुप चाप अब सहत बानी
हम होश में बेहोश हो रहत बानी
जग बैर बा सब गैर बा हमरा खातिर
दिल जार के ई राज हम कहत बानी---------

पीयल ख़राब ह ना पीयावल ख़राब ह,
असरा धरा के प्यार में जीयावल ख़राब ह....

महफ़िल में ई कही मर मर के हम जिही,
ईमान से कही ले ई बात दोस्तों ,
दर्द के थोडा दबावे खातिर दारु के हम पीही,
झुमल ख़राब ह ना झुमावल ख़राब ह,
अंखिया मिला के यार से चोरावल ख़राब ह,
पीयल ख़राब ह ना पीयावल ख़राब ह,

गजबे बहे हवा सभे देला दगा,
टूटा हुआ जे प्यार में गमे दिल के,
दुनिया में ता शराब ही बनल बाते दवा,
,हँसल ख़राब ह ना हसावल ख़राब ह,
हस के हँसा के यार के रोआवल ख़राब ह,
पीयल ख़राब ह ना पीयावल ख़राब ह,

रतिये में बा नशा बतिये के बा नशा,
सब कुछ लुटा के होश में अइनी ए भाई,
सबसे ज्यादा ता यार के अंखिया में बा नशा,
बाचल ख़राब ह ना बचावल ख़राब ह,
नियरा बुला के यार के भगावल ख़राब ह,

पीयल ख़राब ह ना पीयावल ख़राब ह,
असरा धरा के प्यार में जीयावल ख़राब ह...............

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:01pm
दो नाम है सिर्फ इस दुनियां में एक साकी का एक यजदां का
इक नाम परेशां करता है इक नाम सहारा देता है||
Comment by amit on March 30, 2010 at 4:51pm
kya baat hai preetam ji mast hai magar aap se ye anurodh hain plz dont drink.............
aur are jab tak jivan me dhokha na ho jivan me jine me maza nahi aati
aur ye pyaar 80 percent jivan ko tabah kar deta hai so
dont fall in love
nice bahut achha likha hai
Comment by Mahesh Jee on March 27, 2010 at 11:37pm
प्रितम भईया आप के रचना त बहुत अच्छा बा।लोग सही कहेला-व्हीसकी मे विष्णु दिखे, रम मे राम, वियर मे ब्रम्हा दिखे देशी मे हनुमान।किस किस को मै भुलु हर बोतल मे भगवान।
Comment by Babita Gupta on March 22, 2010 at 3:42pm
Lag raha hai preetaam ji pyar mey dhokha khayey hai, so nice, acha likha hai.
Comment by Rash Bihari Ravi on March 20, 2010 at 2:44pm
पीयल ख़राब ह ना पीयावल ख़राब ह,
असरा धरा के प्यार में जीयावल ख़राब ह...............
jai ho bhai lagal raha kahio ta meharban hoihe

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 18, 2010 at 12:29am
wah pritam bhai wah, ka baat ba , bahut badhiya likhaley bada bhai, kaha chupa key rakhaley rahala ha e dil key bhadas, aaj nikalat bada, bahut badhiya, kahela ki hamara likhey hi na aawela, aehsey niman koi likhi ka , shandar prastuti, bahut khub, aisahi likhat rahi maharaj achha likhat baani.
Comment by Admin on March 18, 2010 at 12:26am
प्रितम जी,बहुत बेहतरिन रचना है ये आपका ,इसी प्रकार से लिखते रहिए, मै तो बस इतना हि कहूगा कि.......

पियल भी खराब बा, पियावल भी खराब बा,
असरा धरा के प्यार मे जियावल भी खराब बा,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service