हंसी और भी तुमको मौसम मिलेंगे।
मगर दोस्त तुमको कहां हम मिलेंगे।।
मेरा दिल दुखाकर अगर तुम हंसोगे।
तुम्हें जिंदगी में बहुत ग़म मिलेंगे।।
अगर जिंदगी में खुशी चाहते हो।
तो इस राह कांटे भी लाज़िम मिलेंगे।।
कभी भी किसी ने ये सोचा न होगा।
कि इनसान के पेट में बम मिलेंगे।।
खुशी सबको मिलती नहीं मांगने से।
बहुत लोग दुनिया में गुमसुम मिलेंगे।।
तुम्हारी खुशी को जुदा हो गया हूँ।
अगर जिंदगी है तो फिर हम मिलेंगे।।
...........................सूबे सिंह सुजान...................
Comment
Rajesh Kumar Jha......ji aapki bat sahi hai.......अर्थ अलग अलग हैं
बहुत सुंदर गज़ल कही है आपने हार्दिक बधाई । एक उलझन में हूं हसीं एवं हंसी क्या दोनों के ही अर्थ एक होते है अगर बतायें तो उलझन दूर हो जाएगी
वाह सुजान जी अशआर की मार्फ़त बहुत सुन्दर बातें साझा की है
हार्दिक बधाई
तुम्हारी खुशी को जुदा हो गया हूँ।
अगर जिंदगी है तो फिर हम मिलेंगे।।
वाह वा
ओ बी ओ पर ग़ज़ल से सम्बन्धित अनेक पोस्ट में काफिया के सिनाद दोष पर खूब चर्चा हुई हैआप सिनाद दोष को स्पष्ट कर सकें तो ग़ज़ल और निखरेगी
neeraj......jiआपकी पंक्तियां मेरे लिये प्रिय हैं। मुझे उत्साहित कर गई।.............मित्र बहुत-बहुत धन्यवाद।
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