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अब तो बस नयन बरसते हैं

सावन की घटा घहराती हैं,
मन में हलचल कर जाती हैं ..
विरही मन छोड़ रूठना अब,
प्रियतम की याद सताती है...
काले पीले बादल आते,
वर्षा की आशा ले आते,
मन हरा भरा हो जाता तब,
प्रियतम फिर से घर को आते,
प्रियतम की यादों को सावन,
फिर घेर घेर ले आता है,
दर्शन की अमित चाह में अब,
जीवन उत्साह बढ़ाता है ...
मन व्याकुल है तन आकुल है,
है कंठ रुद्ध आशा अपूर्ण..
प्रिय आँखों में बस जाओ तो,
जीवन हो जाये पूर्ण पूर्ण,
स्वाती की बूंदों को चातक,
जीवन-धन! आज तरसते हैं,
अब तो बस नयन बरसते हैं |

Dr.Brijesh Kumar Tripathi

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Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 26, 2010 at 6:51am
प्रिय गणेश जी ,
आपके द्वारा दी गयी मूल्यवानऔर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया ने मेरे मन में बैठे
कवि को यथेष्ठ सम्मान दिया है ...आभार

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2010 at 9:27pm
वाह वाह डॉ साहिब, बेहतरीन कविता लिखी है आपने,
मन हरा भरा हो जाता तब,
प्रियतम फिर से घर को आते,
यही तो है प्यार, जो एक मजबूत डोर की तरह दो प्रेमियों को बांधे रखता है , बधाई सर इस बेहतरीन कृति पर |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 25, 2010 at 6:54pm
शेषधर जी, नवीन जी आशीष जी आपके द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया के लिए आभार कृपया स्नेह बनाये रखना
Comment by आशीष यादव on October 24, 2010 at 6:13pm
sringar ras se purit ek sundar geet likha gaya hai. padh kar man prafullit ho utha. bahut bahut dhanywaad aapko ki hame aisi geet padhne ko mili.

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