For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षा का हमारे दैनिक, नैतिक, सामाजिक, व्यावहारिक तथा व्यावसायिक जीवन में बहुत बड़ा महत्व है | जब से मानव सभ्यता विकसित हुई है , तभी से हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहा है | वैदिक काल में गुरुकुल के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती थी तथा गुरु शिष्य परम्परा बनाये रखने के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाता था | जिसमे शिष्य गुरु को गुरु दक्षिणा देता था | पहले वेदों, पुराणों, शास्त्र ग्रंथो तथा राजनीती शास्त्र, तर्क विज्ञान, की शिक्षा दी जाती थी | लेकिन जैसे - जैसे समय बदलता गया वैसे ही वैसे लोगो की विचार धाराओं में परिवर्तन होता गया है | जब भारत को अंग्रेजो ने अपना गुलाम बना लिया , तब से भारत की अपनी सभ्यता , संस्कृति विलुप्त सी होती गयी | क्योकि अंग्रजो ने हिंदुस्तान को इस तरह से गुलाम बनाया की वह हमारे खून में जहर की भाति उतर गयी है | भारत में अंग्रेजो के आते ही पश्चिमी सभ्यता , संस्कृति का प्रचार प्रसार होने लगा ताकि हमे शारीरिक दृष्टि से ही नही बल्कि मानसिक, राजनितिक तथा भाषाई दृष्टि से भी गुलाम बनाया जा सके | जिसमे मैकाले की शिक्षा पद्धति विशेष रूप से उल्लेखनीय है, आज के इस समय में जहा पश्चिमी सभ्यता, संस्कृति का बोल - बाला है, वहा पर आज के इस परिवेश में आने वाली पीढ़ी को अपने देश की सभ्यता, संस्कृति की पहचान ही नही हो पायेगी, क्योकि वो इसे जान तथा समझ ही नही पायेगे की हमारे देश का अस्तित्व कहा पर है | क्या आज की शिक्षा पद्धति २१ वि सदी के भारत को कितना सभ्य, सुसंस्कृत तथा विकसित समाज दे प़ा रही है | मनुष्य पहले से कितना ज्यादा सभ्य तथा सुसंस्कृत हुआ है |

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shekhar jha` on December 24, 2010 at 9:42pm
puja je aapne kya khub likhe hai
Comment by Pooja Singh on October 27, 2010 at 10:24am
धन्यवाद गणेश जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2010 at 8:39pm
पूजा जी, आपने बिलकुल सही नब्ज पकड़ा है, अग्रेजी सभ्यता को निभाते निभाते हम आज अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलते जाते है, मैने देखा है कि आज के बच्चों को बड़ों के पैर छूने मे शर्म महसूस होती है, वो चरण नहीं बल्कि घुटना स्पर्श करते है , कई बार मैने टोका भी है कि यदि श्रद्धा नहीं है तो हाथ जोड़ कर ही प्रणाम करों, पर यह घुटना स्पर्श करने कि परंपरा हमारी नहीं है |
बहुत ही सुंदर लेख , बधाई स्वीकार कीजिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
35 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service