लाख चेहरों को छिपाते हैं, छिपाने वाले,
तू सबको पहचान ही लेता है, बनाने वाले |
कौन ठोकर पे है किसको सलाम करना है,
इल्म हर बात का रखते हैं ज़माने वाले |
जब कही सर भी छिपाने की जगह न मिली,
खूब पछताए मेरे घर को , जलाने वाले |
सच्ची बातें नहीं मरती हैं कभी सच है,
सच्चे इंसान हो पर, सच को, सुनाने वाले |
अपने चेहरे की खो देते हैं वो पहचान "अजय"
हर किसी शख्स को आइना, बनाने वाले |
मौलिक एवं अप्रकाशित
अजय कुमार शर्मा (अव्यक्त )
लखीमपुर खेरी
Comment
लाख चेहरों को छिपाते हैं, छिपाने वाले,
तू सबको पहचान ही लेता है, बनाने वाले |// सुंदर शेअर
बधाई !!
//कौन ठोकर पे है किसको सलाम करना है,
इल्म हर बात का रखते हैं ज़माने वाले |//
यह शेर मुझे बहुत बढ़िया लगा,
सच्ची बातें नहीं मरती हैं कभी सच है,....बात और स्पष्ट होनी चाहिए थी ।
इस अभिव्यक्ति पर बधाई ।
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