तुम जो होंसला दिखाओ तो फर्क पड़ता है साहेब .
वर्ना , नंबर दो क्या, नंबर एक भी हो जाओ,किसे फर्क पड़ता है ?
जलसे,जयकारे ,चापलूसों की फ़ौज ,किसे फर्क पड़ता है ?
देशभक्त को अपना दोस्त बनाओ तो फर्क पड़ता है ,
दूसरों के भ्रष्टाचार की कलई खोलो ,किसे फर्क पड़ता है ?
अपनों के गलत कामों को रोको तो फर्क पड़ता है ,
पिछड़ों के मसीहा बनो किसे फर्क पड़ता है ?
प्रतिभा का सम्मान करो फर्क पड़ता है ,
दरिंदगी के बाद चार आंसू बहाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
औरत के प्रति इज्जत की अलख जगाओ तो फर्क पड़ता है,
पडोसी की करतूतों पर झूंटी भभकी दिखाओ किसे फर्क पड़ता है ?
जवानों के दिलों में विश्वास जगाओ तो फर्क पड़ता है ,
दौलत, शोहरत,रुतबा दिखाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
एक बार ईमानदारी से सरकार चलाओ तो बहुत फर्क पड़ता है साहेब .
बहुत फर्क पड़ता है साहेब .
Comment
सुन्दर भावो के लिए हार्दिक आभार डॉ दिलीप मित्तल जी
//दौलत, शोहरत,रुतबा दिखाओ ,किसे फर्क पड़ता है ?
एक बार ईमानदारी से सरकार चलाओ तो बहुत फर्क पड़ता है साहेब .//
सही बात, फर्क तो पड़ता है भाई, अच्छी रचना, कथ्य उभर कर आ रहा है, बधाई स्वीकार करें ।
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