खुदा के घर से किसी के दिल पर ,
ना हिन्दू ना मुसलमान की छाप लगकर आयी है ,
फिर क्यूँ तुमने हमपर जाती की तोहमत लगाई है ,
खुदा का वास्ता -
अब, ना हिन्दू ना मुसमान ना ईसाई बना हमको ,
इंसानियत हमारी ज़ात हैं ,कुछ और ना बना हमको
दिल जिगर गुर्दे ,तुम भी रखते हो ,हम भी रखते हैं ,
चाहो तो जंग के मैदान में आजमा सकते हो ,
और अगर चाहो तो -
ज़रूरतमंद को दान कर इंसान और इंसानियत ,
दोनों को बचा सकते हो
अप्रकाशित मौलिक
Added by Dr Dilip Mittal on April 21, 2014 at 4:33pm — 6 Comments
शौख से आशियाँ उजाड़ ,ये इख्तियार है तुझे ,
खानाबदोश हूँ ,ठहरना मेरी फितरत भी नहीं है
मेरे जख्मों पर नमक छिड़क गया ,वो आज ,
उसके ही दिए तोहफों कि याद दिला गया वो आज
उसकी नफरतों के जाम को भी
शांती कि कीमत समझ पिया…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on March 21, 2014 at 7:22pm — 6 Comments
कुछ तो मजबूरी की हद रही होगी ,
या निर्लज्जता की इंतेहा रही होगी ,
वो सम्भावित प्रधान मंत्री के पिता थे,
उनकी पत्नी ने प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति
बनाये और अपनी उंगलियों पर नचाये होंगे ,
कुछ तो हुआ होगा की 11 साल तक
कई असहाय राष्ट्रपतियों के ज़मीर को…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on February 21, 2014 at 8:17am — 4 Comments
करवट बदल रहा है कोई
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शर्मसार नहीं हैं हम, हार कर भी ,
हाँ ,सदमे में जरूर हैं , कि-
नींद में करवट, बदल रहा है कोई
जातिवाद का ज़हर
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तुम नीलकंठ कहलाते हो ,
ज़हर कोई, कभी पिया…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on December 11, 2013 at 2:30pm — 8 Comments
क्षणिकाएँ
आज़ादी का जश्न मना लेने भर से,
देश भक्तों की पहचान नही होती है ,
सिर उठाने की अगर कोशिश भी करे कोई तो ,
रूह कांप जाये ,ये वीर सपूतों की शान होती है.
उपजाऊ भूमी भी बंजर बन जाती है
बुद्दी जब…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on November 28, 2013 at 9:30pm — 6 Comments
तुम पिंजरे में बंद मुर्दा ज़िन्दगी के सिवा कुछ भी तो नहीं ,
अपने आप को ,आज़ाद पंछी मान बैठे हो ,
तुम्हारी तनी हुई मुट्ठियाँ ,बढ़ते कदम ,
बीवी बच्चों को देख, अपाहिज हो जाते हैं ,
तुम्हारे मस्तक की मांसपेशियां ,
पेट की तरफ देख ,अनाथ हो जाती है ,
तुम्हारी जुबान ,साहब को देख ,…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on August 4, 2013 at 6:00pm — 4 Comments
मंदिर से घंटी ,मस्जिद से अजान की आवाज पूरी दुनिया को सुनाई है ,
धर्म बांटने की हमने कसम उठाई है .
मदिर से हिन्दू ,मस्जिद से मुसलमान बनाने की फैक्ट्री बनाई है ,
धर्म प्रचारक हैं हमने गजब जिम्मेदारी निभाई है
मंदिर नापाक कर मुसलमान ने ,मस्जिद तोड़ हिन्दू ने खुशियाँ मनाई…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on June 10, 2013 at 10:42am — 4 Comments
कालाबाजारी ,भ्रष्टाचार , दरिंदगी ,व्यभिचार ,
बेशर्मी ,बेहूदगी ,बेचारगी ,बेरहमी ,बेहयाई ,
आतंकवाद ,जातिवाद ,भाई-भतीजावाद ,परिवारवाद ,
सब राजनीति में रास्ते हैं ,
पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है ,इन रास्तों से गुजरना पड़ता है .
हमें पता है पडौसी ,निर्दोष जनता में आतंक फैला रहा है ,…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on May 7, 2013 at 6:39pm — 5 Comments
महंगाई ने कमर तोड़ दी, बेरोजगारी ज़िन्दगी लील गयी होगी
जनता के सेवक हो ,पर मदद की उम्मीद, आपसे करेंगे,आपको धोखा हुआ होगा
चारा खा गया, कोयले खिला रहा होगा, खेल खेल में खेल कर गया होगा
वो वफादार देश के लिए मर मिटेगा ,आपको धोखा हुआ होगा
जनता का सेवक हूँ जी जान लगा दूंगा , गिडगिडा रहा होगा…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on April 15, 2013 at 6:33pm — 7 Comments
पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा बिछा देंगे
तुम जवानों के सिर काट लो, हम चुप नहीं बैठेंगे,कहकर सो जायेंगे
आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये जुटा देंगे
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे
खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे…
Added by Dr Dilip Mittal on March 13, 2013 at 6:30pm — 9 Comments
Added by Dr Dilip Mittal on January 25, 2013 at 8:00pm — 2 Comments
तुम जो होंसला दिखाओ तो फर्क पड़ता है साहेब .
वर्ना , नंबर दो क्या, नंबर एक भी हो जाओ,किसे फर्क पड़ता है ?
जलसे,जयकारे ,चापलूसों की फ़ौज ,किसे फर्क पड़ता है ?
देशभक्त को अपना दोस्त बनाओ तो फर्क पड़ता है ,
दूसरों के भ्रष्टाचार की कलई खोलो ,किसे फर्क पड़ता है ?
अपनों के गलत कामों को रोको तो फर्क पड़ता है ,
पिछड़ों के मसीहा बनो किसे फर्क पड़ता है…
Added by Dr Dilip Mittal on January 25, 2013 at 7:36pm — 2 Comments
सुना है ,
अब,एम बी बी एस करने पर
पशु चिकित्सक की डिग्री
दी जा रही है,
क्योंकि,
मनुष्य की कोख से,
जानवर कि,
नस्ल आ आ रही है .
Added by Dr Dilip Mittal on January 16, 2013 at 3:00pm — 5 Comments
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