For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या करें ,सरकार की मजबूरी है

कालाबाजारी ,भ्रष्टाचार , दरिंदगी ,व्यभिचार ,

बेशर्मी ,बेहूदगी ,बेचारगी ,बेरहमी ,बेहयाई ,

आतंकवाद ,जातिवाद ,भाई-भतीजावाद ,परिवारवाद ,

सब राजनीति में रास्ते हैं ,

पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है ,इन रास्तों से गुजरना पड़ता है .


हमें पता है पडौसी ,निर्दोष जनता में आतंक फैला रहा है ,

हमारे पास सबूत है ,हम करारा जवाब दे सकते हैं ,

हमारे पास तोपें है ,रॉकेट हैं ,जवानों की फ़ौज है ,

पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है,सब कुछ सहना पड़ता है


हमारे साथी लाखों करोड़ों का घपला करते हैं ,

कमीशन खाते हैं ,हमें भी खिलाते हैं ,सबको खिलाते  हैं ,

चाहते हम भी हैं कि ईमानदारी से सरकार चलायें ,

पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है,सब कुछ करना  पड़ता है


हम जानते हैं कुछ लोग पढाई में कमजोर हैं ,

तभी तो कम अंक से डाक्टर, इंजीनीयर बनाने पड़ते हैं ,

कौन नहीं चाहता प्रतिभा का सम्मान हो ,लायक आगे बढे ,

पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है,सब कुछ करना  पड़ता है


देश की जनता पिस रही है  महिलाओं की इज्जत दांव पर लगी है

गुंडे खुले आम घूम रहे हैं ,हमारा पैसा स्विस बैंक में पड़ा है

हमें सब पता है, गुंडों को भी जानते हैं ,पैसा किसका है जानते हैं

पर क्या करें ,सरकार की मजबूरी है,सब कुछ सहना पड़ता है


हमे भी पता है सारी व्यवस्था सड गल चुकी है ,

हम भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं ,जनता ने हमे चुना है

हम पर जवाबदेही है,एक मिनिट में सरकार से बाहर आ सकते हैं  

क्या करें सात पीढ़ी का ख़याल आ जाता है ,तभी तो सब कुछ सहना पड़ता है


Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on May 10, 2013 at 12:37pm

लोकतंत्र के लोक से दूर जाने के ये संकेत हैं और इन निहितार्थों को आपने अपनी रचना में बहुत सुन्दरता से उकेरा है। आपको अतिशय बधाई।
परन्तु आदरणीय विनम्र निवेदन के साथ कह रहा हूं कि रचना की अत्यधिक गद्यात्मकता मुझे अखरी। आशा है आप इसे सिर्फ आग्रह ही समझेंगे आपत्ति नहीं।
सादर!

Comment by विजय मिश्र on May 10, 2013 at 12:16pm
सरकार के तन्त्र का व्यवसायिक मन्त्र में बदलना और फिर सड़-गल के कुष्ट ग्रसित रोगी के गिरते अंग जैसी गलीत व्यवस्था और उसका बिकृत होता रूप - सब घृणित है . बहुत सधा हुआ व्यंग !दिलीपजी , यह कविता नहीं हमारी आत्मा पर प्रहार करता हमारा सामूहिक दुःख है जो आपकी कलम से निकला है .
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 8, 2013 at 2:04pm

आदरणीय डॉ. दिलीप मित्तल साहब आपने जहां जहां सरकार की मजबूरी लिखा है मुझे सभी जगह वह बेशर्मी ही पढ़ने में आ रहा है.मगर अब देश में जाति धर्म अमीरी गरीबी जैसे नामो से इतनी फूट पड़ चुकी है की हम चाहकर भी ऐसी सरकार को हटा नहीं सकते तब अवश्य लगता है हम मजबूर हैं.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 8, 2013 at 9:55am

सरकार की मजबुरिया गिनाते हुए रचना के लिए बधाई डॉ दिलीप मित्तल जी|पर रचना को आइना मानने वाले आइना दिखाने
का कार्य करते है,सरकार चलाने में सक्षम सरकार चलाये वर्ना सरककर में बने रहना कैसी मज़बूरी है | इससे तो अच्छा है-

सत्ता मद को छोडिये, घटे देश की आन
सत्ता उसको दीजिये, बढे देश की शान |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 7, 2013 at 9:54pm

आ0 मित्तल जी, अतिसुन्दर .कमीशन खाते हैं हमें भी खिलाते हैं सबको खिलाते हैं
चाहते हम भी हैं कि ईमानदारी से सरकार चलायें
पर क्या करें, सरकार की मजबूरी है,सब कुछ करना पड़ता है
.. हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service