महंगाई ने कमर तोड़ दी, बेरोजगारी ज़िन्दगी लील गयी होगी
जनता के सेवक हो ,पर मदद की उम्मीद, आपसे करेंगे,आपको धोखा हुआ होगा
चारा खा गया, कोयले खिला रहा होगा, खेल खेल में खेल कर गया होगा
वो वफादार देश के लिए मर मिटेगा ,आपको धोखा हुआ होगा
जनता का सेवक हूँ जी जान लगा दूंगा , गिडगिडा रहा होगा
आँख कुर्सी पर माँ का पल्लू पकडे, देश सेवा को मचलेगा ,आपको धोखा हुआ होगा
पडौसी जवानों के सिर काट ले गया, आंसू छलक आया होगा
26 जनवरी को मिसाइलों, तोपों के जुलूस मे वीरता का धोखा हुआ होगा
पीठ लहूलुहान थी पर उसने सीने से लगा रखा था
वो कायर कभी भी मेरा दोस्त रहा था , आपको धोखा हुआ होगा
वो नफरत की आग में लाशों के ढेर बिछा रहा होगा
शान्ति की बातें करता है , कभी अपना था, आपको धोखा हुआ होगा
हजारों राह से गुजरे ,मदद ना की ,वो रोते रोते सड़क पर मर गयी होगी
जनाजे में सभी गए , तीया कराकर लौटे ,इंसानियत का वास्ता दिया होगा
हत्या ,बलात्कार ,चोरी ,डकैती हमारे सामने कोई करे हमें क्या ,
हम मजबूरी के मारे इन्सान हैं , मदद करेंगे, आपको धोखा हुआ होगा
Comment
धोखे पर सुन्दर अभीव्यक्ति के लिए बधाई -
कही धोखा हुआ होगा - धोखा ही धोखा है
ठगी सी रची जनता, नेता का तो खाना-पीना, उठना बैठना सब लगा धोखा है
वोट मांगे समय वास्यदे करना, फिर वादा न निभा, लूटना धोखा है -उनके लिए पांच वर्ष का मौका है
दिलीप जी,
// हजारों राह से गुजरे ,मदद ना की ,वो रोते रोते सड़क पर मर गयी होगी
जनाजे में सभी गए , तीया कराकर लौटे ,इंसानियत का वास्ता दिया होगा //
आपने बिलकुल सही कहा है... यही तो हो रहा है .. अभी १२ घंटे हुए जयपुर रोड का
समाचार यहाँ USA में TV पर सुना .. मन बहुत ही दुखी हुआ।
इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
विजय निकोर
क्या बात है आदरणीय बहुत सुंदर
लाजवाब अभिव्यक्ति हुई है सच से सामना कराती
बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिए
बहुत बहुत बधाई.. इतनी सशक्त अभिव्यक्ति...
"हत्या ,बलात्कार ,चोरी ,डकैती हमारे सामने कोई करे हमें क्या,
" हम मजबूरी के मारे इन्सान हैं , मदद करेंगे, आपको धोखा हुआ होगा.. "
जवाब नहीं. रचना का भी... हमारी संवेदन हीनता का भी... जैसा रात दिन घट रहा है, कभी दिल्ली तो कभी जयपुर..
वर्तमान परिपेक्ष्य में ऐसे धोखे ही आमआदमी जीते चला जाता है...
आक्रोशपूर्ण अच्छी रचना के लिए बधाई
आपको धोखा हुआ होगा .....जी सही बात है , कही न कहीं हम सभी धोखे में ही हैं, रचना अच्छी है, कथ्य बढ़िया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय ।
चारा खा गया, कोयले खिला रहा होगा, खेल खेल में खेल कर गया होगा
वो वफादार देश के लिए मर मिटेगा ,आपको धोखा हुआ होगा...........वाह! क्या शिकार किया है.
आदरणीय डॉ. दिलीप मित्तल जी सादर सुन्दर रचना प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.
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