पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा बिछा देंगे
तुम जवानों के सिर काट लो, हम चुप नहीं बैठेंगे,कहकर सो जायेंगे
आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये जुटा देंगे
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे
खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे
विदेशी व्यापारियों को बुलाओ ,बिचोलियों का बाजार लगा देंगे
अपने उद्योगों का गला घोंटकर ,प्रतिस्पर्धा के फायदे गिना देंगे
दहशतगर्दों को पनाह दो ,आँख पर पट्टी लगा लेंगे
कमीशन के हथियारों से सेना को सजा देंगे
पाधारो म्हारा देश, पलक पावणा बिछा देंगे
Comment
आदरणीय, दिलीप मित्तल जी, आपको सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।
अपनी चुनी हुई सरकार की अटपटी नीतियों से बौखलाया जनमानस आपके कहे में स्वर पा रहा है, भाई दिलीप मित्तलजी. यह कम बड़ी बात नहीं कि आपकी संवेदना वैयक्तिक न हो कर सामाजिक हुई है.
लेकिन आप यह भी अवश्य अपने संज्ञान में रखें, भाईजी, कि यह एक साहित्य-मंच है. इस मंच पर परस्पर सीखना व सिखाना उद्येश्य है. अतः सुझावों को हृदयंगम करियेगा. इसकी गरिमा बनाये रखियेगा.
शुभ-शुभ
बहुत बढ़िया व्यंग्पुरण आलेख
आतंक का नंगा नाच दिखाओ ,भेदिये जुटा देंगे
कोई हमारे सब्र कि परीक्षा ना ले, और हम एक बार फिर फेल हो जायेंगे
खूब रेल जलाओ ,अपहरण करो ,आतंकी रिहा करा देंगे
शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे
कुटिल और कुत्सित नीतियों पर बहुत सुन्दर और सार्थक व्यंग्य
कुटिल नीतियों पर सार्थक व्यंग डॉ० दिलीप मित्तल जी
अच्छा व्यंग है, सरकार की नाकामियों का,और भोली भाली जनता के लिए साम्प्रदायिकता जैसे शब्द जाल से
ध्यान बटा अपनी रोटी सकते रहने के कारनामे पर, बधाई डॉ दिलीप मित्तल जी
आदरणीय श्री दिलीप मित्तल जी "शोर शराबा किया तो, सम्प्रदाइकता का आरोप लगा ,ध्यान बटा देंगे" सटीक व्यंग और यथार्थ, बहुत अच्छे--बधाई हो!
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