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सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'
  • Male
  • Birkali, Rajasthan
  • India
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मेरे बारे में

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सतवीर वर्मा 'बिरकाळी''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Birkali, Rajasthan
Native Place
Birkali
Profession
Superviser
About me
नामः सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'
पिता का नामः श्री पदमाराम सिंहमार
जन्म स्थानः बिरकाली (राजस्थान)
जन्म दिनः शनिवार
जन्म दिनांकः 13/02/1988
मार्कशीट के अनुसारः 06/07/1987
पूरा पताः वार्ड नं.- 7,
ग्राम पोस्ट- बिरकाली, तहसील- नोहर, जिला- हनुमानगढ (राजस्थान), पिन कोड- 335523
ई मेल- satveer.nhr@gmail.com
मोबाईल- 09414957822
08485851448

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सतवीर वर्मा 'बिरकाळी''s Blog

प्रकृति का विनाश

सोचता है मनुष्य

खुदगर्ज होकर

नहीं है बङा कोई उससे

हरा सकता है वह

अपने तिकङमबाज दिमाग से

प्रकृति को भी

भरोसा होता है उसे बहुत ज्यादा

अपने तिकङमबाज मस्तिष्क पर

समर्थन भी कर देती है

उसकी इस सोच का

शुरुआती सफलताएँ

नहीं सोचता वह ये

होते हैं प्राण प्रकृति में भी

होती हैं भावनाएँ प्रकृति में भी

करता जाता है मनुष्य

प्रकृति का विनाश

अपनी तिकङमों से

अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु।



प्रकृति होती है नारी स्वरुपा…

Continue

Posted on July 4, 2013 at 2:00pm — 12 Comments

माँ

माँ होती है आदि गुरु

जीवन की दी प्राथमिक शिक्षा

बोलना सिखाया जिसने हमेँ

चलना सिखाया जिसने हमें

वो है माँ



होता है स्वर्ग का अहसास

माँ के ही आँचल में

मिलता है सुकून मन को

की जो माँ की निस्वार्थ सेवा

अपार कष्ट सहा जिसने

वेदना सही जिसने असीम

जन्म दिया फिर भी हमको

वो है माँ



परवाह नहीं की जिसने

अपनी भूख और प्यास की

अन्न पहुँचाया हमारे पेट

खुद पानी पीकर सो रही

हमको ना उसने भूखा सुलाया

वो है… Continue

Posted on May 16, 2013 at 6:31pm — 8 Comments

भारतीय सनातन संस्कृति का ह्रास

साँस लेता हूँ जब

उठती है कसक सीने में

ज्वार उठता है

ज्वाला धधकती है

दब जाता हूँ मैं

राख के ढेर तले

सनातन संस्कृति की राख

दिखलाई देते हैं

संस्कृति के भग्न अवशेष

अटक जाती हैं साँसें

अवसान देखकर

सनातन संस्कृति का



समृद्ध संस्कृति थी कभी

भारतीय सनातन संस्कृति

सम्भाल नहीं पाए

भारतीय भाग्य विधाता

आक्रमणकारी आए विदेशी

रौंदने लगे पैरों तले

भारतीय सनातन संस्कृति

हूण आए, कुषाण आए

यमनी भी… Continue

Posted on May 12, 2013 at 7:17am — 8 Comments

होली आयी खुशियां छायी

होली आयी

खुशियां छायी

रंग बिखरे

संस्कृति के

स्नेह मिलन का

पर्व है होली

रंग-गुलाल देते सन्देश

प्रकृति के

विभिन्न रंगों का

कितनी भी जतन करो

रक्षा होती सदैव

सत्य की

असत्य सदैव

सत्य से हारा

रंग प्रतीक हैं

वसंतागमन का

जिस तरह

खिलते हैं

विभिन्न रंगों के फूल

वसन्त में

उसी तरह

बिखरते हैं रंग

होली पर्व में

खेलो होली मजे से

बुरी रीतियों से बचो

शराब पीना

होली के दिन

काला… Continue

Posted on March 25, 2013 at 10:40pm — 6 Comments

Comment Wall (3 comments)

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At 6:34pm on March 31, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आये आपके घर खुशियों की डोली ,हमारी तरफ से आपको हैप्पी होली . आदरणीय धन्यवाद , आपकी हौसला अफजाई मेरी कविता के पौधे में खाद का काम कर रहे हैं . एक बार फिर धन्यवाद"

At 7:03pm on March 17, 2013, Admin said…

आपका एक पोस्ट पेंडिंग है, जो फेस बुक पर पहले से ही प्रकाशित है, जबकि आपने अपनी रचना में "(मौलिक व अप्रकाशित)" का टैग लगाया है ?

कृपया स्पष्ट करें |

At 9:42am on February 28, 2013, Admin said…

कृपया ध्यान दें, इस साईट पर पूर्व प्रकाशित रचनाओं का प्रकाशन नहीं किया जाता है, इस सम्बन्ध में पूर्व में भी आपको, आपके ओ बी ओ इन बॉक्स में सूचित किया गया है । प्रकाशन हेतु केवल मौलिक व अप्रकाशित रचना ही भेजें ।

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