For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Trivedi
  • Male
  • Surendranagar- Gujarat
  • India
Share on Facebook MySpace

Pankaj Trivedi's Friends

  • Samar kabeer
  • सुनील प्रसाद(शाहाबादी)
  • Dr. Vijai Shanker
  • radha shruti
  • kp saxena 'dusre'
  • Deepak Sinha
  • romesh joshi
  • Alka Gupta
  • Jagdish Kinjalk
  • shailendrakumar sharma
  • mahesh bhoye
  • Sunil Gupta
  • ATAM PRAKASH KUMAR
  • sunita dohare
  • VIJAY SONI ADVOCATE
 

Pankaj Trivedi's Page

Latest Activity

Shashi Ranjan Mishra and Pankaj Trivedi are now friends
Sep 5, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
SURENDRANAGAR -Gujarat
Native Place
surendranagar
Profession
संपादक -विश्वगाथा (हिन्दी साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका)
About me
मै खुद को जानने की कोशिश में लगा हूँ... आपको क्या कहूं?

Pankaj Trivedi's Photos

  • Add Photos
  • View All

Pankaj Trivedi's Blog

जल - पंकज त्रिवेदी

जल बहता है -

झरनें बनकर, लिए अपनी शुद्धता का बहाव

वन की गहराई को, पेड़, पौधों, बेलों की झूलन को लिए

जानी-अनजानी जड़ीबूटियों के चमत्कारों से समृद्ध होकर

निर्मलता में तैरते पत्थरों को कोमल स्पर्श से शालिग्राम बनाता हुआ

धरती का अमृत बनकर वनवासियों का, प्राणियों का विराम !



जल बहता है -

नदी बनकर, नालों का बोझ उठाती, कूड़ा घसीटती

मंद गति से बहती, अपने निज रंग पर चढी कालिमा को लिए

भटकती है गाँव-शहरों की सरहदों से छिल जाते अपने अस्तित्व को लेकर…

Continue

Posted on April 2, 2015 at 12:30pm — 15 Comments

आतंक - पंकज त्रिवेदी

वो ख़ूबसूरती नहीं है उनमें 

काली अंधेरी रात सी चमड़ी

जैसे अमावस की रात मुखरित

काली नदी की तरह बहाव है

उन्माद भी उनमें, आग भी 

सीसम की लकड़ी सी चमक भी

मजबूरी से कसमसाती हुई

मर नहीं पाती उनके भोगने तक 

 

ज़िंदगीभर खूबसूरती खोजती

आँखों में चकाचौंध करने वाला

सफ़ेद घोडा दौड़ता है ताकत से

चने खाता तो मानते, जिस्म खाता है

भाता है केवल रूह छोड़कर सबकुछ

 

जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर…

Continue

Posted on March 31, 2015 at 10:00am — 16 Comments

आज मैंने छूट्टी दे दी है...

आज मैंने छूट्टी दे दी है - 

अनगिनत दुखों को, बेचैनियों को 

ज़िंदगी के अभावों और अनुभवों को 

सगे-संबंधी के रिश्तों की गठरी को 

अपने नाम - शोहरत के बोज को भी 

जगमगाहट भरी भौतिकता की लाईट बंद

अपने नियमों - आग्रहों से दु:खी होनेवाले को 

अपने साथी-संगाथियों से हुई अनबन…

Continue

Posted on June 27, 2014 at 9:00pm — 10 Comments

एकलव्य - पंकज त्रिवेदी

प्रायश्चित करना चाहिए 
गुरु द्रोण को...
जिन्होंने अपने ज्ञान को 
सीमित रखा उन महाराजा के 
वंशजों के लिए और 
ज्ञान से वंचित रहने लगा 
वो वनवासी !

जिसने सिर्फ मिट्टी के 
गुरु को स्थापित किया 
और धनुर्विद्या में 
महारत हांसिल की |

* * *

(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on June 27, 2014 at 9:00pm — 8 Comments

Comment Wall (25 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:13pm on April 5, 2015, सुनील प्रसाद(शाहाबादी) said…
हार्दिक आभार भाई पंकज त्रिवेदी जी मित्र बना दिल में जगह दी नमन आपको।
At 6:18am on April 4, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आपका स्वागत है , आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी , सादर।
At 1:20am on August 20, 2013, RAMESH YADAV said…

पंकज जी मित्र बनने के लिए धन्यवाद

At 10:08pm on June 4, 2013, Abid ali mansoori said…
हार्दिक स्वागत आदरणीय पंकज जी एवं हार्दिक आभार भी मित्रता के लिए!
At 8:20am on March 6, 2013, Sanjay Mishra 'Habib' said…

सादर प्रणाम स्वागतम आदरणीय पंकज भईया...

At 11:56pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

At 9:47am on February 18, 2013, Jyotirmai Pant said…

Aap ka  sanidhy yahan bhi uplabhdh hone par ateev harsh hua hai .hardik swagat .

At 10:09am on February 17, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

आपसे मित्रता पर हार्दिक स्वागत 

आपसी सहयोग करे हमें पारंगत ।
सुखद अनुभूति हो रही इस दिल में,
विशाल जगह में समा रहे हो दिल में।
स्वागत की विधि का न ज्ञान मुझे है,
स्वागत में पलक पावडे बिछे दिल में है ।
At 11:35pm on February 16, 2013, RAHUL VERMA said…

thnx pankajji. 4 adding me in this platform.....plz guide how to post my writing work here & also about rules & regulations etc.

At 2:22pm on November 2, 2012, Abhinav Arun said…

आपकी रचना को ओ बी ओ द्वारा माह की श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई आदरणीय श्री पंकज जी !!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service