ज़िन्दगी इतने गम क्यूँ देती है
गम के संग आंसू भी देती है
आंसुओं संग दर्द भी देती है
दर्द के संग तनहाइयाँ भी देती है
तनहाइयों संग फिर रुस्वाइयाँ भी देती है ……
फिर भी हर किसी को जीने की ही चाह होगी
हर पल हर किसी को जीवन की ही प्यास होगी
हसीन सपनो और खवाबो की ही बारात होगी
नित नयी उमंगों और आशाओं की बरसात होगी
लेकिन होगा वही जो ज़िन्दगी की बिसात होगी ……….
फिर मौत आएगी हमें गले लगाएगी
हर दुःख से साथ छुटाएगी
जीवन के बंधनों से मुक्त कराएगी
जीवन का अंतिम सफ़र कराएगी
फिर भी हमारी दुश्मन कहलाएगी ………
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
धन्यवाद अभिनव अरुण जी रचना को समय देने के लिए ...
आदरणीय संजीव वर्मा जी ... अगर जिंदगी सिर्फ सुखों और खुशियों का गीत हो तो उसमे नीरसता आ जाएगी ..
जीवन है तो मौत भी निश्चित है
आज सुख है तो कल दुःख भी निश्चित है ..
सादर धन्यवाद...
आदरणीय अशोक जी नमस्कार,
जैसा की आप जानते हैं जिस पल जो भाव दिल में आये उनको रचना में उतार दिया ... व्यक्तिगत टूर से रचना का कोई लेना देना नहीं
सादर धन्यवाद....
तुषार जी रचना को समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद ...
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर ,
काव्यात्मक अभिव्यक्ति की दौड़ में कोशिश जारी है बस आप लोग आशीर्वाद देते रहे .. धन्यवाद...
प्राची जी नमस्कार ,
जिंदगी में बहुत से ऐसे प्रशन हैं जिनका कभी कोई उत्तर नहीं मिलता .......
जिंदगी खुशियाँ भी देती है ..
जिंदगी गम भी देती है ...
बस ऐसे ही कुछ भाव दिल में आये तो रचना में उतार दिए .. धन्यवाद...
है प्रवीण वह जो जिए दुःख में भी हँस मीत.
करे दर्द से मौन हो जो आजीवन प्रीत..
जन्म-मौत का संग है श्वास-आस सम जान-
धूप-छाँव के गीत गा जीवन हो रस-खान..
आदरणीया प्रवीण जी हताशा के चरम पर ले जाती सुन्दर रचना मगर जीवन में ऐसी निराशा का होना कमजोरी का प्रतीक है.सादर.
जिंदगी को बयां करती बहुत मार्मिक रचना | बधाई
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