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तुम्हारे ये दो आँसू ::: ©


तुम्हारे ये दो आँसू ::: ©

कुछ घाव हरे कर गए है..
तुम्हारे ये दो आँसू मेरी..
संवेदना को गहरा कर गए हैं..
किसी पुराने जख्म का रिसना..
और भर-भर कर उसका..
रिसते चले जाना..
नियति बन गया है अब..

तुम्हारे मन की पीड़ा..
आँसू की पहली बूँद से..
उजागर हो रही है..
एक ह्रदय से दूसरे तक..
क्यों इस पीड़ा का गमन..
हो रहा है निरंतर..

सतत अविरल बहते आँसू..
मेरे अंतर्मन को इन्होने..
जाने कहाँ जाकर छुआ है..?

शुक्रिया तुम्हारा..
तुम्हारे द्वारा मुझे..
कुछ आँसू उधार देने का..
जो अपेक्षित थे कभी से..
उन बूंदों से मेरा..
साक्षात्कार कराने का..

याद है मुझे तब..जब..
अनकहे ही तुम्हारा..
अमानत बन जाना..
किसी और का..और..
चुपचाप गुमसुम निगाहों से..
तुमको मेरा निहारना..
तुम्हें पता भी न था..

और यहाँ.. उफ्फ्फ्फ्फ़..
सारा जहाँ रिस रहा था..
आज फिर तुम्हें सामने पाना..
अतीत के मुर्दों को जगाना..
हर कंकाल नाच रहा है..
यादों का नंगा नाच..

तुमने तो चले जाना है..
फिर आने का स्वांग क्यों..
तुम्हारा आना और..और..
तुम्हारे ये दो आँसू मेरे..
कुछ घाव हरे कर गए है..
संवेदना को गहरा कर गए हैं..

किसी पुराने जख्म का रिसना..
और भर-भर कर उसका..
रिसते चले जाना..
रिसन सडन न बन जाये कहीं..
आह.. न आना चाहिए था तुम्हें..
चले जाओ-चले जाओ-चले जाओ..

_____ जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh ( 07 नवंबर 2010 ) ©



Photography By :- Jogendra Singh (for both d pic's)

Night view of above picture is at Worli see face ( Mumbai )
These lags are my own lags at Vasai Beach ( Mumbai )

.

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