प्यार में तुम.. Copyright ©
2011Photography by :- Jogendra Singh
प्यार में तुम जीते रहो ,
प्यार में तुम मरते रहो ,
प्यार में धोखा देते रहो ,
प्यार में धोखा खाते रहो ,
प्यार कहाती इबादत है ,
हाँ इस इबादत पर तुम ,
किसी की बली लेते रहो ,
प्यार पर बली…
ContinueAdded by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 19, 2011 at 12:03am — No Comments
फिर एक किनारा......? Copyright ©
फिर एक किनारा......?
इस ओर से उस ओर को जाने वाला एक खिवैया..
दो किनारों के बीच आवाजाही ही तो है जो समझ नहीं आती है..
रेत पर मेरे स्वागत को तत्पर..
बलुआ मिटटी और सीपियों से बनी तुम्हारी रंगोली..
मेरे आने से पहले ही बड़ी लहर उसे निगल…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 12, 2011 at 11:32pm — 2 Comments
फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©
फिर भी आँख है सूनी..
उस राह को तकते हुए..
जो जाती है सीधे तेरे दर पे..
तुमने कहा मैं भूल गया आना..
कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..
सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..
पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..
सारा जमाना क्या , हम…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 10, 2011 at 11:00am — No Comments
दायरे.. ©
कुछ सवाल कुछ ज़वाबों के घेरे में , उलझा जीवनपथ..
सीमित दायरे , दरकता है जीवन उनमें पल-प्रतिपल..
दहकते दावानल, स्वप्नों का होता दोहन उनमें निरंतर..
पल-प्रतिपल , भसम् उठा ख्वाबों की भेंट चढा रहे हम..
चरणों में अर्पित करने लगे , सीमित दायरों भरा जीवन..
चरण उस पथिक के ,…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 3, 2011 at 8:18pm — 1 Comment
बहकाती है क्यूँ जिंदगी...? ©
शुरू में गज़ल सी , फिर भटकती लय है क्यूँ जिंदगी......
हर रंग भरा इसमें तुमने , सवाल सी है क्यूँ जिंदगी.......
ज़वाब दिए खुद तुम्हीं ने , फिर अधूरी है क्यूँ जिंदगी.....
माना है डगर कठिन , कदम बहकाती है क्यूँ जिंदगी.....
मंजिल का पता नहीं पर , राह भटकाती है क्यूँ जिंदगी.....
Photography & Creation by :- जोगेन्द्र सिंह…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 21, 2010 at 11:30pm — 6 Comments
कैसा है यह नाते पर नाता..? Copyright ©
निकल कर देखा.. अपनी माँ के उदर से उसने,
अनजानी.. कुछ मिचमिचाती अपनी आँखों से,
सारा जहान था दिख रहा अजनबी सा उसको,
लग रही माँ भी उसकी.. अजनबी सी उसको,
बना फिर इक नया.. माँ से पहचान का नाता,
फिर भी अकसर.. क्यूँ लगती माँ अजनबी सी,
गोद…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 20, 2010 at 9:30pm — 2 Comments
!! वायु प्रवाह !! ©
(१)
वायु प्रवाह पर विचार !
अचानक उठा खयाल !
कितने होते हैं प्रकार ?
(२)
नाना हैं वायु प्रवाह !
कह चुकी संस्कृत भी !
वायु प्रकार के भेद भी !
मुख्य हैं तीन प्रकार !
उच्च निम्न मध्यम !
सप्तम सुप्त औसत स्वर !
(३)
भीषण मार सप्तम सुर…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 17, 2010 at 5:30pm — 3 Comments
विराम चिह्न !! मेरे तुम्हारे नाम का ::: ©
मैं जानती हूँ के साथ मिला..
कह दी मुझसे तुमने हर बात..
यत्र-तत्र-सर्वत्र करा दिया भान..
मुझ ही को मेरे होने का..
नाव पतवार के बहाने..
तो कभी..
तप्त ओस भाप-बादल के बहाने..
सूखे से जीवन में हरियाली सा..
ढाक-पत्तों…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 14, 2010 at 1:00am — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 7, 2010 at 11:26am — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 28, 2010 at 10:31pm — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 26, 2010 at 4:36pm — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 19, 2010 at 1:30pm — 4 Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 11, 2010 at 5:34pm — 6 Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 8, 2010 at 12:38am — No Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 7, 2010 at 12:00am — 3 Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on November 1, 2010 at 1:00am — 2 Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on October 14, 2010 at 2:08am — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on October 3, 2010 at 2:30am — 3 Comments
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 29, 2010 at 7:30pm — 1 Comment
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 26, 2010 at 1:00am — 6 Comments
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