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जिंदगी..©
जाने कितने रंग दिखावे है यह जिंदगी..
बिखेरने थे उसे जो हमसे चाहे ये जिंदगी..
माया फैला फँसा हमको देती है ये जिंदगी..
इशारों पर अपने है नाचती ये जिंदगी..
ना चाहें पर अपना बोझ लदाती है जिंदगी..
अनचाहे ही हम पर गहराती है ये जिंदगी..
कैसे पायें आज़ादी हम पे हावी है ये जिंदगी..

जोगेन्द्र सिंह Jogendra Singh (07 दिसंबर 2010)

Photography for both pictures :- Jogendra Singh

.

Views: 369

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Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 2:50pm
मुक्त हों तो किस से..
कुछ होता इसके इलावा तो तोड़ देते ..
बंधन के नाम पर बची एक जिंदगी..

कृपया ध्यान दे...

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