For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनिया को मेरा जुर्म बता क्यूं नहीं देते?
मुजरिम हूँ तो फिर मुझको सज़ा क्यूं नहीं देते..?

बतला नहीं सकते अगर दुनिया को मेरा जुर्म?
इल्जाम नया मुझपे लगा क्यूं नहीं देते...!

मुश्किल मेरी आसान बना क्यूं नहीं देते ?
थोड़ी सी जहर मुझको पिला क्यूं नहीं देते ?

दिल में जनूं की आग जला क्यूं नहीं लेते ?
इन शोअलों को कुछ और हवा क्यूं नहीं देते ?

यूं तो बहुत कुछ अपने इजाद किया है,
इंसान को इन्सान बना क्यूं नहीं देते ?

दुनिया को असल बात बता क्यूं नहीं देते !
लफ़्ज़ों की करामात दिखा क्यूं नहीं देते !

ज़ुल्मों की दास्तान सुना क्यूं नहीं देते !
कलमों से इक तुफान उठा क्यूं नहीं देते !

ज़ालिम का हर नकाब उठा क्यूं नहीं देते...?
लोगों को उसकी शक्ल दिखा क्यूं नहीं देते.....?

--रेक्टर कथूरिया (लुधियाना...पंजाब)

Views: 350

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on December 7, 2010 at 10:51am
दिल में जनूं की आग जला क्यूं नहीं लेते ?
इन शोअलों को कुछ और हवा क्यूं नहीं देते ?

यूं तो बहुत कुछ अपने इजाद किया है,
इंसान को इन्सान बना क्यूं नहीं देते ?वाह जी बहुत कमाल ... बहुत गज़ब
Comment by daanish on December 2, 2010 at 7:03pm
दुनिया को मेरा जुर्म बता क्यूं नहीं देते?
मुजरिम हूँ तो फिर मुझको सज़ा क्यूं नहीं देते..?

हुज़ूर... मतला ही अपनी बात खुद कह रहा है ... वाह !
और
यूं तो बहुत कुछ अपने इजाद किया है,
इंसान को इन्सान बना क्यूं नहीं देते ?
एक अपनी ही तरह का लाजवाब शेर ... कमाल

एक भरपूर ग़ज़ल पर मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं .

'daanish' bhaarti

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 14, 2010 at 8:30am
बहुत खूब
यूं तो बहुत कुछ अपने इजाद किया है,
इंसान को इन्सान बना क्यूं नहीं देते ?
ये एक शेर १०० शेरों के बराबर , बधाई हो|
Comment by विवेक मिश्र on November 11, 2010 at 1:50pm
यूं तो बहुत कुछ आपने ईजाद किया है,
इंसान को इन्सान बना क्यूं नहीं देते ?
-बहुत खूब. ख्याल अच्छा है. बधाईयाँ.
Comment by Rector Kathuria on November 11, 2010 at 10:05am
कृपया यूं पढ़ें...:

दुनिया को असल बात बता क्यूं नहीं देते !
लफ़्ज़ों की करामात दिखा क्यूं नहीं देते !

ज़ुल्मों की दास्तान सुना क्यूं नहीं देते !
कलमों से इक तुफान उठा क्यूं नहीं देते !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service