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कानून का चक्कर ,

कानून का चक्कर ,
गुनाहगारो के लिए वरदान ,
बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,
कारन तारीख पर तारीख ,
बेगुनाह हो जाते हैं फक्कर ,
कानून का चक्कर ,
अब देखिये कसाब को ,
जो बना एक सौ से ज्यादा ,
के गुनाहगार ,
उसको जो भी हो सजा ,
ओ उठाएगा कानून का फायदा ,
करेगा अपील ,
उसे मिल जायेगा कुछ दिन ,
यैसे मामलो में होगा अक्सर ,
कानून का चक्कर ,
सांसदों आप देश हित में ,
कोई कानून बनावो ,
साबुत हो तो येसो को ,
सरे आम फाशी पर चढाओ ,
ताकि कोई कसाब ,
हिंद के धरती पर ,
कदम रखे तो कापकर सोचे ,
नहीं हैं हमारे लिया हिंद में ,
कानून का चक्कर ,

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Comment

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Comment by Admin on May 8, 2010 at 9:03pm
आदरणीय गुरू जी पहले की तरह आज आप ने फिर एक सामाजिक मुद्दे को कविता के माध्यम से उठाया है, आप कि कही बातो से मै पूरी तरह सहमत हू , कानून ऐसा होना चाहिए जिससे शरीफ नागरिको को भय मुक्त माहौल मिले तथा अपराधियो मे कानून के प्रति भय व्याप्त हो , न्याय शिघ्र मिलना चाहिए , आतंकवादियो को मिले सजा का इम्पलीमेन्ट तुरन्त होना चाहिए ।
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 7, 2010 at 9:10pm
bahut badhiya guru jee...aur ekdam sach ko charitarth kiya hai aapne is rachna ke madhyam se...
कानून का चक्कर ,
गुनाहगारो के लिए वरदान ,
बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,
कारन तारीख पर तारीख ,
bahut badhiya........

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 7, 2010 at 8:04am
गुरु जी आपने जन जन के आक्रोश को अपने कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है, बहुत ही अच्छी कविता है, न्याय मिलने मे बिलम्ब होने से बहुत सारी समस्या पैदा होती है, भारत मे कुछ ऐसी पद्धति की जरूरत है जो जल्द न्याय दिला सके, अदालत ने कसाब को फासी की सजा दी है, पर आखिर कब होगी फासी, बिलम्ब घर मे जाकर यह लाइन मे लग जाएगी, जहा बहुत पहले से ही बहुत लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे है,

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