For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुदर्शन का बयान और कांग्रेस का संग्राम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अर्थात आरएसएस की अपनी एक ऐसी पृष्ठभूमि है, जिसके तहत देश ही नहीं, दुनिया में यह एक अनुशासित संगठन के रूप में जाना जाता है। आरएसएस से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संयमी माना जाता है और उन्हें संयमित शब्दावली के लिए जाना जाता है, लेकिन आरएसएस द्वारा पूरे देश में भगवा आतंकवाद के खिलाफ मोर्चाबंदी के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल में संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन ने जो कुछ यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के खिलाफ तीखी टिप्पणी की, उससे देश का राजनीतिक माहौल ही गरमा गया है। शुक्रवार को देश भर में आरएसएस ने धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया और केन्द्र की यूपीए सरकार तथा भगवा आतंकवाद संबंधी बयान देने वाले गृहमंत्री पी. चिदंबरम को खरी-खोटी सुनाई गई। इतिहास में ऐसा पहली मर्तबा हुआ, जब आरएसएस ने किसी मुद्दे के विरोध में धरना-प्रदर्शन जैसे सड़क की लड़ाई अख्तियार किया, नहीं तो आरएसएस की अपनी काम करने की अलग ही शैली है। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार का नाम अजमेर बम विष्फोट में आने के बाद केन्द्र सरकार के खिलाफ संघ ने मुखर होने के लिए इस तरह विरोध दर्ज कराने का मन बनाया। देश के सभी बड़े शहरों में आरएसएस के बड़े नेता कमान संभाल हुए थे। वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने लखनउ में सभा को संबोधित किया तो पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन, भोपाल में कार्यकर्ताओं का साथ देने पहुंचे, लेकिन यहां के.एस. सुदर्शन ने जिस तरह बयानबाजी की, उससे तो विपक्षी पार्टी के नेता तो हक्के-बक्के रह ही गए, साथ ही संघ के पदाधिकारियों को भी यह बयान समझ में नही आया। भोपाल में भगवा आतंकवाद जैसी शब्दावली का विरोध करने जुटे आरएसएस कार्यकर्ताओं को के.एस. सुदर्शन ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए सीधे शब्दों में कथित तौर पर आरोप लगाया कि सोनिया गांधी सीआईए का एजेंट है और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी तथा स्व. राजीव गांधी की हत्या का षड़यंत्र रचा। हालांकि इस बयान पर आरएसएस के पदाधिकारी अपना पल्ला झाड़ते नजर आए और संघ के
अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य का मीडिया में यह बयान आया है कि संघ का ऐसा कोई मत नहीं है और इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। पूरे देश भर में आरएसएस का भगवा आतंकवाद के विरोध में धरना-प्रदर्शन तो हो गया, मगर जब संघ के पूर्व सरसंघचालक की टिप्पणी, कांग्रेसियों के कानों तक पहुंची, उसके बाद तो विरोध प्रदर्शन तो होना तय हो गया। सवाल जो, पार्टी की मुखिया के मान का रहा।
शुक्रवार को आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने धरना देकर विरोध दर्ज कराया तो शनिवार को कांग्रेस ने आरएसएस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते के.एस. सुदर्शन के बयान के विरोध में पूरे देश भर में धरना देकर प्रदर्शन किया। कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुदर्शन अपने बयान को लेकर देश की जनता और श्रीमती सोनिया गांधी से माफी मांगे। शुक्रवार को आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने पुतला फंूका तो दूसरे दिन कांग्रेस के नेताओं को मौका मिला और वे भी कहां पीछे रहने वाले थे, सो सुदर्शन के पुतले जलाए गए। कहा जा सकता है कि सुदर्शन के बयान के बाद कांग्रेस का संग्राम शुरू हो गया है।
अब यहां सवाल उठता है, जब आरएसएस के धरना-प्रदर्शन के लिए मुद्दा केवल भगवा आतंकवाद का था और इस तरह बयान देने के खिलाफ आरएसएस, सड़क की लड़ाई लड़ रही थी तो आखिर कौन ऐसी रणनीति पूर्व सरसंघचालक को समझ में आई, जो अपने बयान से देश में एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया। कांग्रेसियों का कहना है कि अब तक कभी ऐसी बातें सामने नहीं आई तो फिर क्यों यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी पर ऐसी अभद्र टिप्पणी की गई। इस बात का जवाब फिलहाल सामने नहीं आया है।
अब तक बने हालात पर गौर करें तो लगता है कि आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक के बयान की बयार अभी थमने वाला नहीं
है, क्योंकि भगवा आतंकवाद के बयान के खिलाफ आरएसएस सड़क पर उतर आया था। ऐसे में अभद्र टिप्पणी किए जाने का मुद्दा कांग्रेस को मिल गया है। इस तरह आरएसएस, जिस तरह केन्द्र की यूपीए सरकार को घेरने के मूड में लगा रहा, उस पर पलीता लगता नजर आ रहा है, क्योंकि संघ, जब कभी भगवा आतंकवाद के बयान पर मोर्चाबंदी करने सोचेगा तो कांग्रेस भी सोनिया गांधी पर की गई कथित टिप्पणी पर जवाब-तलब करने लगेगी।
कुछ भी हो, इन बयानांे के बाद हुए प्रदर्शनों से देश के राजनीतिक हालात में गरमाहट जरूर आ गई है, क्योंकि हमेशा संयमित रूप से काम करने वाला आरएसएस जैसा संगठन पहली बार सड़क पर लड़ाई लड़ने उतरा है और भगवा आतंकवाद के खिलाफ संघ नेताओं ने कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखा है, लेकिन पूर्व सरसंघचालक के एक बयान ने संघ की मंशा पर जरूर पानी फेर दिया है।
इन बातों के इतर देखें तो संविधान में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन आज राजनीतिक दांव-पेंच के चक्कर में जैसी बयान-बाजी की जा रही है, वह किसी भी सूरत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आता। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल यह है कि उससे किसी के मान को आघात ना लगे, किन्तु बीते कुछ बरसों में राजनीतिक रूप से एक-दूसरे को नीचा दिखाने जिस तरह ओछी बातें कही जा रही हैं, वह संविधान की गरिमा के अनुकूल नहीं है। आए दिन किसी न किसी नेता द्वारा किसी दूसरे नेता पर ऐसी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, जिसे केवल ओछी राजनीति का परिचायक ही माना जा सकता है। भद्दी टिप्पणी करने से परहेज करने के बजाय लगता है कि कुछ एक नेताओं का ऐसा शगल बन गया है। फिसलती जुबान के बाजार में नेता सबसे आगे नजर आ रहे हैं, क्योंकि चुनावी सभाओं में तो यह चरम पर होता है। हमारा मानना है कि राजनीतिक रूप से किसी भी पार्टी के नेताओं की विचारधारा भले ही अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन देश की जनता के बीच ओछी बातें कर राजनीति करने का भला क्या मतलब हो सकता है।
दुनिया में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक अलग ही छाप है, मगर इसी देश के कुछेक नेताओं के अनर्गल बयानबाजी से भला, भारतीय लोकतंत्र कैसे सशक्त हो सकता है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के उन नेताओं को सबक सीखने की जरूरत है, जो केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा तथा स्वार्थ के कारण ऐेसी बातें कर जाते हैं, जिससे पूरे देश में उन्माद फैलने जैसा माहौल बन जाता है। जब कहीं विरोघ-प्रदर्शन होता है तो देश को किस तरह क्षति होती है, क्या ऐसी किसी बात की चिंता इन नेताओं को नहीं करनी चाहिए ? अब तक की स्थिति को देखें तो नेताओं को अपनी फिसलती जुबान पर काबू किए जाने की जरूरत है, कहीं ऐसा न हो कि उन्हें देश की जनता, अपनी वोट की जुबान से सबक सीखाने को मजबूर हो जाए।

राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा नं. - 098934-94714

Views: 302

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ratnesh Raman Pathak on November 15, 2010 at 11:46pm
साहू जी राजनीती में बयानबाजी तो होती ही रहती है परन्तु आजकल ये इतनी चरम सीमा पर पहुच गयी है नेताओ द्वारा नैतिकता का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है .बेसक जनप्रतिनिधियो द्वारा ऐसी शब्दों का प्रयोग अशोभनीय और राजनीती के प्रतिष्ठा को खरोच लगने के बराबर है.अगर साफ़-साफ़ शब्दों में कहा जाये तो यही कारन है की लोग राजनीती को गन्दा समझने लगे है ,किन्तु सत्य यह है की राजनीती गन्दी नहीं होती राजनीती करनेवाले गंदे होते है .राजनीती की भी अपनी प्रतिष्ठा और सीमाएं होती है जिन्हें हर पल ध्यान में रखना चाहिए ......और ऐसी ओछी हरकतों से बचना चाहिए ...राजनीती की भी अपनी एक सभ्यता होती है और सिधांत होती है ...जिसे आज सरेआम शर्मशार किया जा रहा hai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service