For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं श्रमित
जिन्दगी की जद्दोजहद से व्यथित
चली जा रही थी
अज्ञात गन्तव्य की ओर
प्रेममय संवाद सुनकर रुकी
सघन छांव ने दिया ठौर
मतवाली लतिका
तरु के उर पर करती बिहार
गद गद था तरु
जो लतिका बनी गले का हार
तूफां हो या भानु-ताप
थामे थे इक-दूजे का हाथ
मैं 'भाग्यवान ज्यादा',था विवाद का मसला
सुनकर हृदय मेरा मचला और बोला-
मैं धन्य तुम दोनों से कहीं अधिक हूं
शीतल छांव का भाजक एक पथिक हूं
त्याग समर्पण प्रीति के प्राण हैं
चैन बंटता है जिसकी सुखद छांव में
प्रेम ही तो जगत का सृजनहार है।
-विन्दु

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:38pm

प्रेम ही तो जगत का सृजनहार है।

सत्य है. 

सादर बधाई 

आदरणीया वन्दना जी 

Comment by Vindu Babu on March 21, 2013 at 2:54pm

सादर आभार आपका आदरणीय सौरभ पाण्डेय महोदय।
आपके आशीर्वचनो से अभिभूत हूं।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2013 at 10:43pm

प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ.

प्रयुक्त शब्दों को रचना के अंतर्निहित भाव के साथ पगाते और साधते जायें.. .

शुभ-शुभ

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 8:32pm
हार्दिक आभार स्वीकारें आदरणीय बृजेश महोदय
कृपया सुधार भी सुझाएं आपका सादर स्वागत है।
Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 7:12pm

//प्रेम ही तो जगत का सृजनहार है।//

बहुत सुन्दर संदेश!

बहुत सुन्दर रचना

अप्रतिम शब्द संरचना! 

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 4:20pm
आदरेय राम शिरोमणि जी आपका भी हार्दिक आभार!
सादर
Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 4:18pm
आदरणीय विजय सर सादर अभिनन्दन!
आपकी टिप्पणी मेरे लिए अत्यन्त उत्साहवर्धक होती है,महोदय आपके स्नेह के लिए सादर आभार!
Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 5:55pm

आदरणीया वंदना जी:

 

बहुत ही सुन्दर भाव हैं।

बधाई।

 

Comment by vijay nikore on March 12, 2013 at 4:32am

आदरणीया वंदना जी:

 

मैं धन्य तुम दोनों से कहीं अधिक हूं
शीतल छांव का भाजक एक पथिक हूं
त्याग समर्पण प्रीति के प्राण हैं
चैन बंटता है जिसकी सुखद छांव में
प्रेम ही तो जगत का सृजनहार है।

 

बहुत ही सुन्दर भाव हैं।

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service