For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद उदास था ....


कल चाँद बहुत उदास था 
तारे भी थे बुझे बुझे
हवा भी थी रुकी रुकी 
रात के दामन में,
छुपा सा कोई राज था 
कल चाँद बहुत उदास था ......
*******
पूछा तो कुछ बोला नहीं 
भेद कुछ खोला नहीं 
हंसी में उसकी दर्द था 
आँखों में थी नमी बसी 
दिल से दूर था कही 
कहने को मेरे पास था 
कल चाँद बहुत उदास था ....
*******

 

रंगत जरा फीकी सी थी 
नींदे  कही उडी सी थी 
सपने खड़े थे देहलीज पे 
आंखे मगर खुली सी थी 
धडकन भी थी खामोश सी 
बस कहने बार को श्वास था 
कल चाँद बहुत उदास था ....
*******

 

डूबा हुआ था याद में '
टूटे किसी इक खवाब में 
कोशिश तो थी संभलने की 
पर दर्द था आवाज में 
हवाओ की सरसराहट में 
बस दर्द भरा राग था 
कल चाँद बहुत उदास था ....
*******

 

खिडकी पे बैठे रही 
बस उसे तकती रही 
चाहा की उससे पूछ लू 
एक राज तो बता दे तू 
क्यों बेदाग़ सी थी रौशनी 
क्यों चाँद दागदार था 
कल चाँद बहुत उदास था ....
*******

 

(रौशनी धीर )

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on May 27, 2013 at 4:49pm

बहुत सुन्दर रचना ..... बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on May 15, 2013 at 10:17pm

अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 10:15pm

आदरणीया रोशनी जी सादर, सुन्दर और मार्मिक रचना पर सादर बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2013 at 9:51pm

बस कहने बार को श्वास था
कल चाँद बहुत उदास था ....

उपरोक्त पंक्तियों में श्वास यदि श्वसन की प्रक्रिया की एक आवृति है तो उसका अशुद्ध प्रयोग हुआ है. श्वास स्त्रीलिंग की क्रिया लेती है. और श्वास के एकवचन का क्या अर्थ ? चलती या होती तो श्वासें हैं.

कथ्य और उसके तथ्य पर ध्यान दें ,आदरणीया, रचना की सजावट आदि बाद की बातें हैं..

विश्वास है, कहे के तथ्य को समझ रही होंगीं.

सादर

 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:30pm

आ० कुंती जी ... रचना को इतने ध्यान से पढने  और प्रतिक्रिया के लिए समय देने के लिए हार्दिक आभार ऐसे ही अपना स्नेह बनाये रखे आभार 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:28pm

आ० चाचा जी आपके आशीर्वाद और स्नेह के लिए आभार 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:28pm

आ० श्याम जी तारीफ के लिए हार्दिक आभार 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:28pm

राम जी धन्यवाद 

आभार 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:27pm

आदरणीय विजय जी 

तारीफ के लिए धन्यवाद 

Comment by Roshni Dhir on May 15, 2013 at 9:26pm

धनयवाद केवल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service