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गंजे का दर्द (घनाक्षरी )

बाल सभी झड़ गये,बुढ्ढा अब  दिखता हूँ !
हमउम्र औरतें भी,चाचा कह देती हैं !!
पत्नी भी मारे है ताना,भाग्य मेरे फूट गये !
कभी कभी वो भी मुझे,बुढ्ढा कह देती है !!


अपने ही जब कभी,अपना मज़ाक ले लें  !
किससे कहूँ कितनी,पीड़ा मुझे होती है
छुपते छुपाते कभी,दर्पण में देखूं जब !
पत्नी देख मुझे फिर,हा हा हँस देती है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 867

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:15pm

hardik aabhar adarneeya coontee ji///

Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:15pm

hardik aabhar bhai Jitendra Pastariya ji////

Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:14pm

hardik aabhar bhai yatindra pandey ji////

Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:13pm

hardik aabhar adarneeyaa kalpana ji/////

Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:13pm

hardik aabhar bhai brijesh ji////uda lijiye mazak ///mere bhi din aayenge///ha ha ha pahle apke hi baal girenge

Comment by ram shiromani pathak on June 3, 2013 at 3:11pm

hardik aabhar adarneey ganesh ji///aap ke sujhav par kuchh idhar udhar karke dekhata hun//saadar

Comment by Shyam Narain Verma on June 3, 2013 at 12:30pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 3, 2013 at 9:32am

राम जी सुन्दर भाव पूर्ण घनाक्षरी के लिए बहुत बधाई किन्तु यह अशुद्ध छन्द है.....आपको परामर्श है की इसे पूर्णतः खारिज कर दें और पुनः लिखें तुकान्त दोष है उत्तम माध्यम और अधम तुकान्तों में से किसी एक का भी पालन नहीं किया है आपने.......शुभकामनाएं 

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 1:42am

ganje ko dekhte hi chacha ki ati hai yad ,

isiliye shayad sabhi kah dete chacha shayad .

Comment by coontee mukerji on June 3, 2013 at 1:08am

भैया , घनाक्षरी बहुत सुंदर  लिखी है ........पर....यह गंजों के घाव पर मलहम है या नमक .....! !

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