For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिपक्वता और नादानीयाँ

धर्म-मजहब के नाम पर,

तुम लड़ सकते हो, मैं नहीं

अपने शब्दों की नुमाइश बेहतर,

तुम कर सकते हो, मैं नहीं

.

मैं.............. मैं क्या कर सकता हूँ ???

मैं तो बस....

.

मैं तो आज भी ले सकता हूँ

बारिश का मज़ा

गलतियाँ कर पा सकता हूँ सजा

कल्पनाओ से निखार सकता हूँ धरा

बात दिल की कहता हूँ सदा.......

.

रो कर मना सकता हूँ उन्हें

रूठ के सता सकता हूँ उन्हें

नादानियो से हँसा सकता हूँ उन्हें

क्या तुम कर सकते हो ?

.

कदाचित नहीं

 

क्योंकि परिपक्वता तुम्हारा बन्धन है 

और नादानीयाँ मेरी आज़ाद उड़ान .....

मौलिक एवं अप्रकाशित 

- सुमित नैथानी 

 

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sumit Naithani on June 12, 2013 at 12:39pm

 vandana tiwari ji sukriya .....

Comment by Vindu Babu on June 11, 2013 at 12:41pm
आदरणीय सुमित जी आपकी रचना पढी,अच्छी लगी.
साहित्य में सदैव अध्ययन और सततता से ही निखार आता है। यह मंच तो साहित्य के हर क्षेत्र में अत्यन्त सहयोगी है।
ढेरों शुभकामनाएं..
सादर
Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 1:16pm

पांडे जी शुक्रिया ...अपना कीमती वक़्त देने के लिए 

Comment by Sumit Naithani on June 10, 2013 at 1:14pm

बृजेश जी शुक्रिया ...जी बिल्कुल ध्यान दूँगा 

Comment by yatindra pandey on June 10, 2013 at 12:07am

BAHUT SUNDAR RACHNA JO BAAT DIL KO LAGE VO EK RACHNA HAI HO SAKTA HAI VYAKRAN MAI  KAMI HO PAR YE SABHI KA SUDHAR HI JATA HAI DHERE DHERE.

AABHAR SWEKAR KARE

YATINDRA

Comment by बृजेश नीरज on June 9, 2013 at 12:00pm

आदरणीय सुमित जी मैं ही नहीं ओबीओ का प्रत्येक सदस्य आपकी कमियां इंगित करेगा। उन्हें समझना और तदनुरूप अपने लेखन में सुधार करना आपका दायित्व है। फिलहाल इस रचना के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी के इंगितों का संज्ञान लें।
सादर!

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 10:00am

राजेश जी ...जब तक नेगेटिव नही होगा, तब तक पॉज़िटिव तो आ ही नही सकता..... अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद ....

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 9:58am

जवाहर जी शुक्रिया अपना कीमती वक़्त देने के लिए 

Comment by Sumit Naithani on June 9, 2013 at 9:57am

बृजेश जी शुक्रिया ..आशा करता हूँ कमी दिखती ही आप मेरा ध्यान उस तरफ ले जाएँगे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2013 at 11:34pm

क्योंकि परिपक्वता तुम्हारा बन्धन है 

और नादानीयाँ मेरी आज़ाद उड़ान .-----यही तो फर्क है सुमति और कुमति में 

संवादों में कही रचना अच्छी लगी काव्य पर प्रयास रत रहें बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service