For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लॊकगीत,,,,

=================

चूल्हा चौंका झाड़ू बरतन,

गगरी पनघट औ पानी रॆ !!हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ,,

अम्मा  बाबू  कॆ बदना  की,

मैं किलकारी थी अँगना की,

तुलसी छॊड़ भई सजना की,

रॊटी जलॆ तवा कॆ ऊपर,

ऎसहिँ जलॆ जवानी रॆ !!१!!हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ,,,

,

वॊ बचपन की सखी-सहॆलीं,

साथ साथ मॆरॆ सब खॆलीं,

अमियाँ इमली गुड़ की डॆली,

भूल गयॆ सब खॆल खिलौनॆ,

भूलीं सब ऋतु मस्तानी रॆ !!२!!हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ,,,,

पढ़ी-लिखी जॊ मैं भी हॊती,

बॆटॊं जैसा सम्मान सँजॊती,

सिसक रसॊई मॆं ना रॊती,

साहब की कुर्सी पर बैठी,

मैं लिखती नई कहानी रॆ !!३!!हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ,,,,

हम कॊ मार रही बॆ-कारी,

ना ही सुविधा है सरकारी,

राशन चाट रहॆ अधिकारी,

जीना दुर्लभ हुआ यहाँ पर,

"राज" करॆ निगरानी रॆ !!४!! हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ,,,,

कवि - "राज बुन्दॆली"

१६/०६/२०१३

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना,

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on June 19, 2013 at 10:52pm

बहुत सुन्दर! मेरी बधाई स्वीकारें!

Comment by ram shiromani pathak on June 19, 2013 at 10:06pm

बहुत ही खूबसूरत चित्रण करता लोकगीत आ0 बुन्देली जी,हार्दिक बधाई

Comment by Sumit Naithani on June 18, 2013 at 4:13pm

बहुत ही खूबसूरत लोकगीत प्रस्तुत किया आपने.......हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on June 18, 2013 at 2:33pm

अतिसुन्दर प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  

Comment by Meena Pathak on June 18, 2013 at 1:32pm

बहुत सुन्दर ...दिल खुश हो गया ...बहुत बहुत बधाई 

Comment by mrs manjari pandey on June 18, 2013 at 11:56am

nnलोकगीत 

आदरणीय  राज बुन्देली जी लोकगीत की सरलता सरसता मन को भा गयी  बहुत बहुत बधाई

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on June 18, 2013 at 10:40am
coontee mukerji जी,,,बहुत बहुत आभार आपका,,,,धन्यवाद,,
Comment by D P Mathur on June 18, 2013 at 7:33am

अम्मा बाबू के बदना की,
मैं किलकारी थी अँगना की,
मन के भावों का सही चित्रण करता लोकगीत,
अति सुन्दर !

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 17, 2013 at 10:04pm

आ0 बुन्देली सर जी,
पढ़ी.लिखी जॊ मैं भी हॊती,
बॆटॊं जैसा सम्मान सँजॊती,
सिसक रसॊई मॆं ना रॊती,
साहब की कुर्सी पर बैठी,
मैं लिखती नई कहानी रॆ !!३!!हाय ! मॆरी जिन्दगानी रे....
हम कॊ मार रही बॆ.कारी,
ना ही सुविधा है सरकारी,
राशन चाट रहॆ अधिकारी,
जीना दुर्लभ हुआ यहाँ पर,
ष्राजष् करॆ निगरानी रॆ !!४!! हाय ! मॆरी जिन्दगानी रॆ...
लाजवाब, अतीव, अप्रतिम और अतिशय सुन्दर लोक गीत। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 17, 2013 at 9:43pm
आदरणीय..बहुत ही खूबसूरत लोकगीत प्रस्तुत किया आपने, बहुत बहुत हार्दिक..शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service