For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत देर से 

धूप ही धूप  थी 

दूर तक

कोई दरख्त नहीं 

जिसकी छाँव तले मै 

आ जाऊं !

बहुत दिनों से

कंठ  सूखा था

दिनों तक कोई

लहर नहीं

जिसे जी भर मै

पी जाऊं !

कई जेठों  से

स्वेद की कितनी बूंदें

माथे छलछलाती थीं

कब शीतल पुरवाई में

समा जाऊं !

आ जाओ

बस आ ही जाओ

मेरी जिन्दगी 

छाँव, तृप्ति और श्वास

मेरी तुम !

-जीतेन्द्र 'गीत'  

(मौलिक और अप्रकाशित) 

Views: 917

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 8:07pm

बहुत ही सुन्दर! इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 7:24pm

jaise kuch baat adhuri rah gayi hai

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 7:22pm

koshish ke liye daad sweekar kare bhai

Magar na jane kyu mujhe kuch kami mehsus ho rahi hai

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2013 at 12:15pm
आदरणीय अरुण जी ~ आपको रचना का भाव स्पष्ट हुआ यह रचना की सार्थकता का प्रमाण है।
Comment by Arun Sri on July 22, 2013 at 12:09pm

प्रेम की व्याकुलता को बहुत ही सुन्दर ढंग से शब्द दिए आपने ! बहुत बढ़िया !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2013 at 12:04pm
लेखन की ख़ूबसूरती को सराहने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय अजय जी।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 22, 2013 at 12:02pm
आदरणीया प्रियंका जी आपको रचना पसंन्द आई; रचना सार्थक हुयी शुक्रिया आपका।
Comment by ajay yadav on July 21, 2013 at 12:10pm

यू शिद्दत से बुलानेकी वजह वों पूंछे तो एक बात भाई कहना ही चाहिए -

"वजह पूछोगे , तो कभी , कुछ न बता पाऊँगा
कहा न ! अच्छे लगते हो , तो बस लगते हो .. !"

बहुत खूबसूरत लेखन -डॉ अजय 

Comment by Priyanka singh on July 20, 2013 at 9:16pm

बहुत खुबसूरत .....बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service