For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वास्ता बस यूँ कि

यादें आती रहें जाती रहें

इसी बहाने कभी यूँही कह

मुस्कुरा लिया करेंगे

गुज़रती बेहाल सी

रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में भी

इसी बहाने कभी यूँही कह

दो घड़ी थम जाया करेंगे

दुखती आँखों पर भी

थोड़ा रहम हो जायेगा

इसी बहाने कभी यूँही कह

आंखे मूंद तुम्हें

देख लिया करेंगे

खोलती नहीं दुपट्टे की

वो गांठ चुभती है जो

ओढ़ने में….इसी बहाने

कभी यूँही कह तुम्हें

महसूस कर लिया करेंगे

मलती हूँ तुम्हारा नाम

हाथ पर अक्सर लिख कर

इसी बहाने तुम्हें यूँही कह

इन हथेलियों में छुपा लिया करेंगे

गला जब रुंध आये

और दम घुटने लगे

बाल्टी भर खुद पर उड़ेल लेंगे

इसी बहाने अब भी

तुम्हारी याद में यूँही कह

हम रो लिया करेंगे

हाँ उम्मीदें ख़त्म नहीं होतीं

कम्बख्त बस यही जिन्दा रखती हैं

चलो खैर इसी बहाने कभी यूँही कह

हम जी भी लिया करेंगे

(मौलिक एवं अप्रकाशित)


.......प्रियंका ''पियू ''

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 9:44pm

बहुत ही सुन्दर भाव आदरणीया बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by Priyanka singh on July 30, 2013 at 6:06pm

पसंदगी का बहुत बहुत शुक्रिया जितेन्द्र जी  ....

Comment by Priyanka singh on July 30, 2013 at 6:01pm

चन्द्र शेखर पाण्डेय जी ....बहुत बहुत आभार सर .....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 29, 2013 at 11:51pm

सुंदर व् भावनात्मक रचना प्रस्तुति पर , हार्दिक बधाई , आदरणीया प्रियंका जी

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 29, 2013 at 11:43pm

मलती हूँ तुम्हारा नाम

हाथ पर अक्सर लिख कर

इसी बहाने तुम्हें यूँही कह

इन हथेलियों में छुपा लिया करेंगे । सुन्दर लिखा है आदरणीया। आपकी भावाभिव्यक्ति उत्कृष्ट है। बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service